रायपुर: छत्तीसगढ़ के नियंत्रक एवं महालेखाकार (सीएजी) की रिपोर्ट में 4601 करोड़ रुपये के टेंडर में गड़बड़ी की बात सामने आई है। सीएजी के प्रधान सचिव बी.के. मोहंती ने यह जानकारी गुरुवार को दी।
रिपोर्ट के मुताबिक, 17 विभागों के अधिकारियों द्वारा 4601 करोड़ रुपये के टेंडर में 74 ऐसे कंप्यूटरों का इस्तेमाल निविदा अपलोड करने के लिए किया गया था, जिनका इस्तेमाल फिर उन्हीं टेंडरों को भरने के लिए किया गया।
मोहंती ने पत्रकारवार्ता में बताया कि सीएजी की रिपोर्ट में भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, 17 विभागों के अधिकारियों द्वारा 4601 करोड़ रुपये के टेंडर में 74 ऐसे कंप्यूटरों का इस्तेमाल टेंडर अपलोड करने के लिए किया गया था, जिनका इस्तेमाल फिर उन्हीं टेंडरों को भरने के लिए किया गया।
सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि 108 करोड़ रुपये के टेंडर पीडब्ल्यूडी और डब्ल्यूआरडी प्रणाली द्वारा जारी न कर मैन्युअल जारी किए गए। ऐसा 1921 टेंडरों में हुआ, जिससे 4601 करोड़ रुपये के टेंडर अधिकारियों के कंप्यूटर से ही भरे गए। इससे साबित होता है कि टेंडर से पहले टेंडर डालने वाले और टेंडर की प्रक्रिया में शामिल अधिकारी एक-दूसरे के संपर्क में थे।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार के दौरान 5 अयोग्य ठेकेदारों को 5-5 टेंडर जमा करने दिया गया। सीएजी ने सरकार से इस मामले की जांच कराने की सिफारिश की है और चिप्स की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि चिप्स ने ई-टेंडर को सुरक्षित बनाने के लिए कोई पर्याप्त उपाय नहीं किया। इसी तरह 79 ठेकेदारों ने टेंडर प्रक्रिया में दो पैन का इस्तेमाल किया। एक पैन का इस्तेमाल पीडब्ल्यूडी में रजिस्ट्रेशन के लिए और दूसरा ई-प्रोक्योरमेंट में किया गया। ठेकेदारों ने आयकर अधिनियम की धारा 1961 का उल्लंघन किया है। इन 79 ठेकेदारों को 209 करोड़ रुपये का काम दिया गया।