अर्थव्‍यवस्‍था नहीं आ रही पटरी पर, 9.5% तक गिरावट का अनुमान

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के कारण देश की इकॉनमी पर कितना बुरा असर हुआ है इसका अभी ठीक-ठीक अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। हालांकि स्थिति की गंभीरता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि तमाम रेटिंग एजेंसियां जीडीपी में गिरावट के अनुमान को बढ़ाती जा रही हैं। इसमें IMF भी शामिल है। घरेलू रेटिंग एजेंसी ICRA का मानना है कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 9.5 फीसदी तक की गिरावट आएगी।

रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार 2020-21 में जीडीपी में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी जबकि पूर्व में 5 प्रतिशत गिरावट का अनुमान जताया गया था। उसका कहना है कि कुछ राज्यों में 'लॉकडाउन' जारी रहने से मई और जून में शुरू हुई आर्थिक सुधार की गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। ज्यादातर विश्लेषकों का अनुमान है कि देश के जीडीपी में 5 से 6.5 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था में 2020-21 की पहली तिमाही में 25 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आ सकती है। उसके बाद कुछ हल्का सुधार देखने को मिल सकता है। दूसरी और तीसरी तिमाही में इसमें क्रमश: 12.4 प्रतिशत और 2.3 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। चौथी तिमाही में 1.3 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है।

इक्रा की चीफ इकनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अप्रैल 2020 में कड़ाई से लगाये गये 'लॉकडाउन' के कड़े अनुभव से बाहर निकलने लगी थी। कई क्षेत्रों में यह देखा जा रहा था कि वे नई व्यवस्था के साथ स्वयं को समायोजित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई राज्यों में स्थानीय स्तर पर 'लॉकडाउन' फिर से लगाया गया है। इससे इकनॉमिक रिवाइवल पर असर पड़ सकता है।

कई एक्सपर्ट्स पहले कह चुके हैं कि लॉकडाउन को लागू करना अब बहुत खतरनाक होगा। लोकल और राज्य स्तर पर लॉकडाउन लागू करने से सप्लाई-चेन सिस्टम पर काफी बुरा असर पड़ेगा। कोरोना के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट सप्लाई और डिमांड- दोनों प्रॉब्लम है। जब अनलॉक की शुरुआत हुई थी तो कई इंडिकेटर में तेजी से सुधार दर्ज कि गए। हालांकि वर्तमान हालात में अर्थव्यवस्था की गाड़ी में फिर से रिवर्स गियर लग गई है।

कोरोना के कारण देश की इकॉनमी को कितना नुकसान हो सकता है इसका एक सीधा गणित है। देश की जीडीपी का आकार 200 लाख करोड़ है। एक महीने का लॉकडाउन मतलब 17 लाख करोड़ की जीडीपी का नुकसान। दो महीने लॉकडाउन रहा तो यह आंकड़ा करीब 34 लाख करोड़ हो जाता है। सरकार ने 20 लाख करोड़ का राहत पैकेज दिया है। हालांकि स्टिमुलक केवल 8 लाख करोड़ का है। राज्य स्तर पर लॉकडाउन शुरू होने से यह नंबर काफी आगे बढ़ जाएगा। इस लिहाज से इक्रा के अनुमान को गंभीरता से लेने की जरूरत है। अगर हालात में सुधार नहीं हुए तो यह दहाई अंकों में काफी आगे तक बढ़ सकता है।

भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली और तमिलनाडु जैसे चार बड़े राज्य कोरोना से सबसे बुरी तरह प्रभावित हैं। देश की जीडीपी में इन राज्यों का बहुत बड़ा योगदान है। इसलिए जीडीपी कॉन्ट्रैक्शन का आंकड़ा बढ़ सकता है। सरकार की आर्थिक हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वित्त वर्ष 2019-20 में उसपर कुल 147 लाख करोड़ का कर्ज है। यह जीडीपी का करीब 72 फीसदी है।

फिलहाल कोरोना की वैक्सीन या दवा नहीं आ रही है। इसमें समय लगने वाला है। ऐसे में अगर लॉकडाउन जैसे हालात कुछ समय के लिए और जारी रहे तो देश की इकॉनमी को कितना नुकसान होगा, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है। बेरोजगारी की समस्या पहले से विकराल है। गांव के हालात तो सुधर गए हैं, लेकिन शहरी गरीबों की हालत दयनीय हो गई है। यही वजह है कि आज पीएम मोदी ने इकॉनमी की हालत को लेकर हाई लेवल बैठक की। इसमें वित्त और वाणिज्य मंत्रालयों के 50 के करीब शीर्ष अधिकारी शामिल हुए।

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