रतलाम: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के जावरा कस्बे में स्थित कुंदन कुटीर आश्रय गृह मामले की जांच करने पहुंचे बाल अधिकार आयोग के दल ने बालिकाओं के साथ छेड़छाड़ की बात स्वीकार की है, लेकिन दुराचार की किसी घटना से इंकार किया है। दल के सदस्यों ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "जावरा की घटना दुखद है। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि बालिकाओं से छेड़छाड़ तो हुई है, उनके साथ गलत हुआ है, अनुचित गतिविधियां हुई हैं, मगर दुराचार जैसी कोई घटना सामने नहीं आई। यह लापरवाही का मामला है, जिसके लिए महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी जिम्मेदार हैं।"
आश्रय स्थल में बालिकाओं को प्रताड़ित किए जाने का मामला सामने आने के बाद राज्य बाल अधिकार आयोग का दल मामले की जांच के लिए यहां मंगलवार को पहुंचा। दल में आयोग के सदस्य बृजेश चौहान, आशीष कपूर एवं द्रविंद्र मोरे शामिल थे।
उल्लेखनीय है कि जावरा में वर्ष 2015 में शुरू हुए इस आश्रय गृह से 24 जनवरी को पांच बालिकाएं फरार हो गई थीं। बालिकाओं ने शिकायत की कि उन्हें आश्रय गृह में प्रताड़ित किया जाता था।
पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी ने मंगलवार को आईएएनएस से कहा, "24 जनवरी को पांच बालिकाओं के आश्रय गृह से फरार होने की सूचना आई। बालिकाओं को कुछ घंटों बाद ही बरामद कर लिया गया था। बालिकाओं ने परेशान किए जाने की शिकायत की थी। उसके बाद अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम) की जांच के आधार पर मामला दर्ज किया गया था।"
तिवारी ने बताया, "आश्रय गृह में अबतक 310 से अधिक बालिकाओं के आने की जानकारी मिली है। इस समय आश्रय गृह में 30 बालिकाएं हैं। बाकी बालिकाएं कहां से आईं और बाद में कहां गईं, इसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है, जो 15 दिनों में जांच पूरी कर लेगा।"
उन्होंने कहा, "इस मामले में आश्रय स्थल से जुड़ी हर्षा पाठक, रचना भारतीय, ओमप्रकाश भारतीय, संदेश जैन सहित कुल छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से तीन अब भी पुलिस की अभिरक्षा में हैं, जिनसे पूछताछ जारी है। बाकी तीन को जेल भेज दिया गया है।"
तिवारी ने कहा कि मामले के सामने आने के बाद आश्रय गृह में मौजूद 30 बालिकाओं को इंदौर, उज्जैन व मंदसौर के आश्रय गृहों में भेज दिया गया है।