तमाम शीर्ष पदों पर राजनैतिक रहनुमाओं के रहते क्‍यों झारखंड में उपेक्षित हैं आदिवासी?

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

आज हमारे साथ बातचीत के लिये झारखंड के दो राजनीतिक शख्‍स मौजूद हैं। पहले डॉ अरूण उरावं.. पंजाब कैडर के IPS अधिकारी रहे डॉ उरांव ने 2014 में आइजी रैंक से स्‍‍वैच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) लेकर समाज सेवा में जुड़ने का मन बनाया। वह एक चुने हुए जनप्रतिनिधि के रूप में काम करना चाहते हैं। कांग्रेस से राजनीति की शुरूआत की। अभी भाजपा में हैं। अरूण उरावं के बारे में एक बात स्‍पष्‍ट है कि वह है उनकी विचारधारा। किसी पार्टी की नहीं बल्कि अपने इलाके के आदिवासी समाज को कैसे ऊपर उठाया जाए? आज वह रांची, गुमला, लोहरदगा में करीब तीन दर्जन नि:शुल्‍क सांध्‍य विद्यालय चला रहे हैं जिसमें दो हजार से ज्‍यादा छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। करीब 200 वॉलन्टियर और सेवानिवृत शिक्षक इसमें नि:शुल्‍क योगदान कर रहे हैं। डॉ अरूण झारखंड के एक जानेमाने राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता बंदी उरांव भी शुरू में पुलिस सेवा में ही थे। बाद में राजनीति में उनकी ख्‍याति रही। अभी पिछले दिनों ही उनका स्‍वर्गवास हुआ है। स्‍व. कार्तिक उरावं उनके ससुर थे। झारखंड में मंत्री रहीं गीताश्री उरावं उनकी धर्मपत्‍नी हैं। पिछले दिनों संताल परगना में दारोगा पद पर पदस्‍थापित रूपा तिर्की की संदिग्‍ध मौत के मामले में डॉ उरावं का एक इंटरव्‍यू काफी चर्चित रहा। हम आज डॉ उरावं से रूपा तिर्की के अलावा झारखंड के सामाजिक और राजनीतिक हालात पर भी बातें करेंगे। स्‍वागत है डॉ अरूण उरावं। 

इसके अलावा हमारे साथ हैं झारखंड के जानेमाने नेता व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू। सरना धर्म कोड को लेकर सालखन जी झारखंड ही नहीं पूरे देश में आदिवासियों के बीच एक जाने माने राजनीतिक और आंदोलनकारी शख्सियत हैं। वैसे भी न्‍यूज मेल इंडिया पर आप इनकी बातें हमेशा सुनते रहे हैं। सालखन जी आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष हैं। झारखंड में राजनीति को एक नई दिशा देने की सोच रखते हैं। आज इनसे भी हम रूपा तिर्की के अलावा झारखंड के आदिवासी समाज के मसलों पर बातचीत करेंगे। स्‍वागत है सालखन मुर्मू जी।.. 

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