एक औपचारिक आयोजन का दलीय आयोजन बन जाना!
देश के प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह, जिसमें आठ देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी शामिल थे, में आप दुनिया को दिखाना चाहते थे कि इसी देश के एक राज्य की सरकार और सत्तारूढ़ दल के लोग हमारे लोगों की हत्या कर रहे हैं! विचारणीय है कि यह संघीय भावना और मान्यता के कितना अनुकूल था.
यह बेहद शर्मनाक और दुखद स्थिति है कि धीरे धीरे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह संबद्ध राजनीतिक दलों के कार्यक्रमों में तब्दील होते जा रहे हैं. सरकारी खर्च पर होनेवाला ऐसा औपचारिक आयोजन एक दल विशेष के शक्ति प्रदर्शन और हित साधव का माध्यम बन जाये, यह आपत्तिजनक है और चिंता का विषय होना चाहिए. श्री मोदी का शपथ ग्रहण समारोह इसका ताजा उदाहरण है.