जब हमारी जाँच टीम ने गत 04 नवम्बर, 2018 को दंगा ग्रस्त क्षेत्र का भ्रमण किया और इससे प्रभावित सभी पक्षों से बातचीत की तो ज्ञात हुआ किसीतामढ़ी जैसे शांतिप्रीय जिले में साम्प्रदायिक शक्तियों के इशारे पर स्थानीय बहुसंख्यक समुदाय को उक्साकर वर्षों से मेल मोहब्बत के साथ रहते आ रहे अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया गया, कमजोर, असहाय, वृद्ध राहगीरों को क्रूरतापूर्वक मारा पीटा गया, दुकानें जला दी गईं, साज़ो-सामान लूट लिए गए, जामा मस्जिद के शटर पर लाठी बरसाया गया एवं भड़काउ और उक्साने वाले नारों के द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय को डर और खौफ के माहौल में जीने पर मजबूर कर दिया गया। आॅल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ मानवता के आधार पर पीड़ित परिवार के साथ खड़ा है और राज्य सरकार को वास्तविकता से अवगत कराकर उन्हें न्याय दिलाना अपना कर्तव्य समझता है।
दंगा ग्रस्त क्षेत्र के भ्रमण के दौरान जो बातें बड़ी स्पष्टता के साथ सामने आईं उसे बताते हुए दुख होता है कि 19 अक्तूबर को मूर्ती विसर्जण जुलूस के साथ ही सीतामढ़ी में तनाव उत्पन्न हो गया था अतः उसी क्षण से जिला प्रशासन तत्परता दिखाती तो 20 अक्तूबर को भड़की हिंसा टाली जा सकती थी। क्योंकि सीतामढ़ी के मधुबन गाँव से हिंसा भड़की थी जिसकी दूरी पुलिस अधीक्षक कार्यालय से 5-7 मिनट की होगी, मगर यहाँ तक पुलिस को पहुँचने में 42 मिनट लग गए थे और इसी दौरान दंगाईयों ने अल्पसंख्यकों को जमकर निशाना बनाया था और प्रशासन का भेदभाव भी ऐसा कि पहले अल्पसंख्यक मुहल्ले में ही दबिश बनाई गई। जबकि बहुसंख्यकों को उत्पात मचाने के लिए छोड़ दिया गया था।
इस प्रकरण में दुखद तथ्य यह है कि ये दंगे सुनियोजित थे जिसके सुत्रधार स्थानीय भाजपा के पूर्व विधायक पिन्टु प्रशांत थे। हिंसा भड़कने से दस दिन पहले ही इसी क्षेत्र में भाजपा के वरिष्ट नेता सुशील कुमार मोदी का दौरा भी हुआ था यही कारण है कि कहीं ना कहीं जिला प्रशासन एवं पुलिस अधीक्षक विशेष पार्टी एवं विशेष विचारधारा के लिए काम कर रहे थे। जिला प्रशासन द्वारा जैनुल अंसारी की निर्मम हत्या को 2 दिनों तक प्राकृतिक मौत बतलाना भी इसी संदर्भ में देखा जा सकता है। जिला प्रशासन के रवैया पर इसलिए भी शक की गुंजाईश है कि हिंसा के तीन सप्ताह बाद भी मुख्य आरोपियों की गिरफ़्तारी नहीं हो सकी है।
हिंसा ग्रस्त अल्पसंख्यक समुदाय के लोग आज भी सहमे हुए हैं दहशत के कारण मधुबन गाँव के लोग घर छोड़ बाहर सगे संबंधी के यहाँ रात बिताने को मजबूर हैं। दहशत के कारण गाँव के बच्चों ने 20 अक्तूबर 2018 से ही स्कूल जाना छोड़ रखा है। पुनौरा से गौशाला चैक जाने वाली सड़क पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को गाड़ियों से उतारकर मारा पीटा जाता है।
पुलिस प्रशासन ने पीड़ीत अल्पसंख्यक समुदाय की ओर से दिए आवेदन को स्वीकार तक नहीं किया है और अगर स्वीकार करते हुए मुकदमा दर्ज किया भी गया है तो उचित धाराएँ नहीं लगाई गई हैं जिससे पुलिस प्रशासन की नियत और मंशा पर शक करना स्वभाविक है। क्योंकि पीड़ीत साबिर अंसारी पर हुए जानलेवा हमले के बाद उन्हें 36 टाँके लगाए गए। दंगाई अंसारी को मुर्दा समझ गाछी में फेंक भाग गए थे बाद में घर वालों ने उन्हें अस्पताल में दाखिल करा कर इलाज कराया तब उनकी जान बच सकी। इस केस में भी पुलिस ने सुसंगित धाराएँ नहीं लगाई है। दुखद पहलु यह है कि हिंसा में नुकसान उठाने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के ही एक दर्जन निर्दाेष व्यक्तियों को जेल में डाल दिया गया है जबकि मार काट मचाने वाले दंगाई आज भी खुलेआम घूम रहे हैं। प्रशासन ने जान माल का नुकसान उठाने वाले अल्पसंख्यक समुदाय की न तो कोई सूची जारी की है न ही हिंसा में गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों की कोई खोज खबर ली है, न ही उनके पुनर्वास, इलाज और मुआवजे का कोई प्रावधान किया है।
माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ी स्पष्टता के साथ पिछले दिनों कहा था कि राज्य में जहाँ कहीं भी दंगा होगा इसके लिए स्थानीय जिला पदाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक जवाबदेह होंगे और उनपर कार्रवाई होगी। महोदय के इस कथन पर पूरा विश्वास रखते हुए आशा करता हूँ कि गत दिनों सीतामढ़ी में भड़के दंगे और उस दौरान जान माल की क्षति के लिए दोषी पदाधिकारी पर कार्रवाई की जायगी और पीड़ीत परिवार को न्याय मिलेगा। आॅल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ की जाँच टीम की विस्तृत रिपोर्ट जिसमें हिंसा ग्रस्त अल्पसंख्यक गाँव, व्यक्ति, घटनाक्रम, जान माल की क्षति का विवरण है प्रेषित करते हुए महोदय से मानवता एवं सहानुभूतिपूर्वक कार्रवाई किए जाने का प्रार्थना करता है। साथ ही कर्तव्य में लापरवाही बरतने वाले वर्तमान सीतामढ़ी पुलिस अधीक्षक एवं जिला पदाधिकारी को अविलंब हटाने की मांग करता है।
सीतामढ़ी दंगा ग्रस्त क्षेत्रों की विस्तृत जाँच रिपोर्ट:-
(1)
मधुबन
19 अक्तूबर 2018 को मधुबन गाँव से जो रूट तय था उससे जुलूस नहीं ले जाकर जिधर से प्रशासन की ओर से ऑर्डर नहीं था उधर से जबरन जुलूस ले जाने के लिए हिन्दु पक्ष ने जर्बदस्ती किया जिस पर मुस्लिम समुदाय की ओर से प्रशासन को लिखित सूचना दी गई जिसपर प्रशासन ने जुलूस को ले जाने से रोक दिया और जो तय रूट था उधर से ले जाने को कहा और हुआ भी वही जुलूस का समापन 19 अक्तूबर को तय रूट से ही शांति पूर्ण ढ़ंग से हो गया। लेकिन इस मामले को कुछ असमाजिक तत्वों ने हवा दे दिया और सुनियोजित तरीके से 20 अक्टूबर को सुबह 9 बजे के आस पास मदन साह की पत्नी कुमारी देवी को दंगाईयों ने इसके लिए आगे कर सीतामढ़ी का कई गाँव जिसमें मधुबन, मुरगियाचक, गौशाला चैक, भोड़हा, पुनौरा, मिर्जापुर, मिर्चाईपट्टी एवं नमनगरा को दंगा की चपेट में ले लिया।
मधुबन गाँव से भड़का दंगा, मुख्य आरोपी मदन साह की पत्नी कुमारी देवी, राज कुमार साह (सभी भाई), सत्रोहन (दोनों भाई), सुरेन्द्र राम का बेटा अबतक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। (इन सभी दंगाईयों की गिरफ़्तारी नहीं होने के पीछे भाजपा के पूर्व विधायक पिन्टु प्रशांत से पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी की मिलीभगत बताई गई)
दंगा मदन साह की पत्नी कुमारी देवी को दंगाईयों ने आगे कर दूध का पैसा वसूलने के बहाने से 20 अक्टूबर को शफीक के घर तकाजा करने के लिए भेजा और वहीं से कुमारी देवी ने लौटने पर हंगामा मचा दिया कि राज कुमार को मियाँ ने मार दिया। (जबकि यह पूरा का पूरा झूठ था कि राज कुमार को मिया सब मिलकर मार दिया ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था) चूँकि यह पूरी तरह से सुनियोजित था हिन्दु पक्ष की ओर से इसलिए देखते ही देखते हजारों की संख्या में बहुसंख्यक समुदाय के लोग इकठ्ठा हो गए और घरों पर रोड़ा पत्थर और आगजनी करना शुरू कर दिया जिसमें कई लोगों के घरों में लूट पाट और एक टैम्पों बेचन शाह का भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया साथ ही कई घरों में आग भी लगा दिया गया। और बहुतों को तो जहाँ तहाँ पकड़ कर पीटा भी और घरों पर ईंट पत्थर की बरसात भी किया। मधुबन के जिस रास्ते से कभी बहुसंख्यक समुदाय का कोई जुलूस नहीं गुजरा जबरन ले जाने को लेकर जो तनाव उत्पन्न था अगर पुलिस अधीक्षक चाहते तो दंगा की आग आगे नहीं बढ़ पाती। जहाँ पुलिस अधीक्षक बैठते हैं वहाँ से 5 से 7 मिनट में पुलिस फोर्स मधुबन पहुँचेगी लेकिन पूरे 42 मिनट के बाद फोर्स पहुँचती है और वह भी अल्पसंख्यक समुदाय की ओर से पुलिस फोर्स घुसती है और अल्पसंख्यक समुदाय पर ही लाठी चार्ज और अपशब्द कहकर घरों में घुसने को मजबूर करती है साथ ही कुछ लड़कों को पुलिस की ओर से अल्पसंख्यक समुदाय में दहशत बनाने के लिए सरकारी पिस्तौल भी कनपट्टी में सटाकर घरों में घुसा दिया गया। पूरे मधुबन में आज भी लोग दहशत में हैं, कई लोग रात्रि में अपने घर नहीं रहते पुलिस की दहशत के कारण आज भी लोग रातों को घर से बाहर रहने को मजबूर हैं और बच्चे 20 अक्टूबर से ही स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।
हांलांकि इस मामले में पुलिस की ओर से मुकदमा दर्ज किया गया है जिसमें कुछ लोगों की गिरफ्तारी हुई है लेकिन दंगा का मुख्य आरोपी आज भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
(यह सारी बातें मधुबन निवासी मधुबन के जिम्मेदार मो0 यासीन साह, मो0 मंसूर अंसारी, मो0 वहाब अंसारी, मो0 रहीम खान, मो0 नसीम मौलाना ने संयुक्त रूप से बेदारी कारवाँ जाँच टीम को बताया)
(2)
मुरगियाचक
काली जी मूर्ती जुलूस को लेकर 20 अक्तूबर को ही दिन के 12 बजे के आस पास मुरगियाचक पर शुरू हुआ दंगा। मुरगियाचक से जो काली जी की मूर्ती ले जाया जा रहा था वह कुछ वर्षों से अम्बेडकर चैक और गौशाला चैक के रास्ते राजो पट्टी होकर ले जाया जाता था लेकिन इस बार मुरगियाचक होकर ले जाने के क्रम में 12 बजे से लगातार बहुसंख्यक समुदाय के लोगों ने मुरगियाचक को दंगा की चपेट में लेकर बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया और अल्पसंख्यक सुदाय के घरों को जमकर निशाना बनाया, तोड़ फोड़ किया। यहाँ पर जो दंगा की शुरूआत हुई वह काली जी की मूर्ती ले जा रहे जुलूस के जो लोग थे जिसमें माईक पकड़ कर जो व्यक्ति भड़काउ नारा लगा रहा था अचानक वह मूर्ती पर हमला की बात की अफवाह फैलाकर दंगा में अहम भूमिका निभाने का काम किया और उसी के नारे के बाद मुरगियाचक पर घंटों जमकर दंगाईयों ने अल्पसंख्यक समुदाय पर हमला बोला। यह सभी नंगा खेल पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में दंगाईयों ने खेला। प्रशासन ने लोगों को समझा कर मुरगियाचक से हटाया जरूर लेकिन वहीं मुरगियाचक में दंगाईयों ने उसी रात 10 बजे के आस पास दोबारा उत्पात मचाना शुरू कर दिया और जामा मस्जिद के शटर पर ताबड़तोड़ लाठियों की बौछार शुरू कर दिया और पाकिस्तानियों को जलाकर राख कर दूंगा जैसे अपशब्द नारा जमकर लगाया, गालियाँ बकनी शुरू कर दी। यहाँ 10 दिन पहले ही सुशील मोदी भी दौरा कर जा चुके हैं। यहाँ 72 लोगों पर मुकदमा भी दर्ज किया गया है 36-38 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है। जिसमें 6-7 अल्पसंख्यक समुदाय के भी बेकसूर लोग हैं। गजब का मजाक तो यह किया गया कि जिस 6-7 मुस्लिम पर मुकदमा दर्ज किया गया है उसमें एक मो0 जाकिर, पिता-मो0 इसराफील, ग्राम-मुरगियाचक, वार्ड-04 का नाम भी दर्ज है जबकि मो0 जाकिर 3-4 महिने से दिल्ली में रह रहा है, दूसरा मो0 शमीम, पिता- मो0 शफी शाह, ग्राम-मुरगियाचक, वार्ड-04 का भी नाम दर्ज है मुकदमे मेंजबकि यह व्यक्ति भी कई महीने से दिल्ली में रह रहा है। मो0 शमीम का मुकदमे में नाम देख कर उसके पिता मो0 शफी शाह को ऐसा सदमा लगा कि वे बीमार पड़ गए और इलाज के दौरान ही उनकी मृत्यु भी हो गई। वहीं पाँच सात लोग मुरगियाचक के रहने वाले भी बुरी तरह जख्मी हो गए थे जो अपना नाम बताने से डर रहे हैं दहशत के कारण। यह वही मुरगियाचक है जहाँ 1992 में भी दंगा हो चुका है और बड़े पैमाने पर उस समय भी अल्पसंख्यकों को टारगेट किया गया था।
(यह पूरी जानकारी मौलाना मो0 तैयब आलम, नाजिम दारूल उलूम कादरिया गौसिया, मुरगियाचक ने बेदारी कारवाँ की जाँच टीम को दी)
(3)
गौशाला चैक
82-85 वर्ष के जैनुल अंसारी जो राजोपट्टी अपनी बेटी के यहाँ से आ रहे थे उन्हें गौशाला चैक के गेट से पहले ही तलवार से जबह कर दिया गया उसके बाद उन्हें सरेआम जलाकर पूरी तरह से जैनुल की लाश पहचानने के लायक भी नहीं छोड़ा। 20 अक्तूबर को जैनुल अंसारी को दंगाईयों ने गौशाला चैक पर घेर कर जबह कर दिया जिसकी सूचना जैनुल के परिवार को नहीं थी। लेकिन 20 अक्तूबर को जब जैनुल अंसारी अपने घर नहीं पहूँचे तो उसके परिवार ने गुमशुदगी का मुकदमा रीगा थाना में दर्ज कराया। उसके बाद भी जैनुल का कोई पता नहीं चला। दंगा के तुरंत बाद दो दिनों तक इंटरनेट सेवा के बंद होने के कारण जैनुल की हत्या का राज दब गया था यही कारण है कि परिवार के लोगों ने गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज कर जैनुल की तलाश में लग गए थे। दो दिन बाद जैसे ही इंटरनेट सेवा आधे घंटे के लिए खुला जिन लोगों के पास जैनुल की हत्या का फोटो और जलाने वाला विडियो था वह सोशल साईट पर डाल दिया उसी फोटो से जैनुल के परिवार की परेशानी बढ़ी और पता लगाना शुरू किया। दो दिन बाद जब जैनुल के परिवार के लोग कन्फर्म हो गए कि जैनुल की हत्या कर जला दिया गया है तो जैनुल के परिवार के लोगों ने हत्या का मुकदमा दर्ज किया और पुलिस प्रशासन से जैनुल की लाश मांगा लेकिन प्रशासन ने लाश देने से इंकार कर दिया और यह भी कहा कि यह जैनुल की लाश नहीं है और नहीं जैनुल की हत्या की गई है तब परिवार के लोगों ने जब पुलिस अधीक्षक और जिला पदाधिकारी को लाश की फोटो दिखाया और गौशाला के गेट पर जैनुल को जबह कर फेंका गया था वह फोटो दिखाया तो दोनों वरीय पदाधिकारी पीछे भागते नजर आए और यह स्वीकार किया कि पुलिस के पास जो बाॅडी है वह गौशाला चैक से ही उठाया गया है। लाश की पहचान के बाद जब घर वाले ने पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाया गया तो पुलिस प्रशासन ने लाश देने से साफ इंकार कर दिया और परिवार के सदस्यों को जबरन मुजफ्फरपुर बुलाकर जैनुल की नमाज जनाजा पढ़वाई और दफन भी मुजफ्फरपुर में ही करवाया। जैनुल अंसारी का नमाज जनाजा मदरसा रशीदीया मुजफ्फरपुर मेडिकल काॅलेज में कराया गया। जैनुल की गला रेत कर हत्या गौशाला चैक पर 20 अक्तूबर को ही की गई लेकिन जैनुल के परिवार को दो दिन बाद इसकी सूचना मिल सकी। जैनुल भोड़हा के रहने वाले थे। जैनुल का बड़ा बेटा एखलाक का कहना है कि जिस समय हमने अब्बु की बाॅडी देखा दोनों हाथ और पांव कटा हुआ मिला, दाढ़ी के पास भी कटा हुआ था। जैनुल को 23 अक्तूबर को परिवार वाले पर दबाव बनाकर सीतामढ़ी प्रशासन ने आनन फानन में 23 अक्तूबर को बिना परिवार को बाॅडी दिए मुजफ्फरपुर में ही दफन करवाया। जैनुल की हत्या की खबर पूरे राज्य ही नहीं देश भर में आग की तरह फैलता देख प्रशासन ने इस हत्या का रूख मोड़ने का लगातार प्रयास कर इसे प्राकृतिक मौत बताकर समाज के सामने पेश करने का घिनौना खेल खेला। इधर जैनुल के परिवार को पाँच लाख दंगा पिड़ित राशि भी दे दिया गया है। पप्पु यादव ने भी 25 हजार रूपया दिया है जबकि आज तक जैनुल के परिजन से मिलने के लिए सीतामढ़ी पुलिस अधीक्षक एवं जिला पदाधिकारी को समय नहीं मिल पा रहा है। इससे साफ हो जाता है कि जैनुल की हत्या को दबाकर दंगाईयों का समर्थन एवं बचाव कर रहे हैं पुलिस अधीक्षक एवं जिला पदाधिकारी। जैनुल अंसारी के परिजन का कहना है कि हमें हर हालत में न्याय चाहिए, परिवार के एक सदस्य को नोकरी और 25 लाख रूपया मुआवजा। जैनुल अंसारी के पास दो लड़का है और दोनों मजदूरी कर अपना पालन पोषण करता है।
दूसरी ओर भोड़हा निवासी साबिर अंसारी (65 वर्ष) जो कपरौल डा0 अहमद के यहाँ से दवा लेकर घर लौट रहे थे कि पुराना एक्सचेंज रोड मिर्चाई पट्टी के पास 20 अक्तूबर को ही दंगाईयों ने कहा कि यह तो मियाँ जा रहा है दाढ़ी देखकर उनपर चैला से हमला बोल दिया जिसमें उनके सर और बायें आँख पर काफी चोटें आईं। साबिर के सर में 36 टाँका लगा है और आँख के उपर चार टाँका, पीठ के जख्म पर भी टाँके लगे है। साबिर अंसारी को मुर्दा समझ कर दंगाईयों ने बुरी तरह जख्मी कर फेंक दिया लेकिन वे जिंदा थे और किसी ने उनके परिवार को इसकी सूचना दी तो परिवार के लोगों ने आनन फानन में उसका इलाज कराया अभी वे समाज के लोगों की मदद से लगातार इलाज में हैं। साबिर पर हुए जानलेवा हमले में साबिर के परिजन की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया है जिसमें धारा जो लगाया गया है वह भी पुलिस प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई को उजागर करने और दंगाईयों को समर्थन एवं बचाने के लिए काफी है। इस मुकदमें में कोई ऐसा दफा लगा ही नहीं है जिस प्रकार से उसे मुर्दा छोड़ दिया गया था। साबिर अंसारी को मारकर चंडिया गाछी में मुर्दा समझ कर फेंक दिया गया था। नन्हें अंसारी पूर्व मुखिया के दबाव पर कुछ इलाज कराया गया लेकिन फिर उसे अपनी हालत पर रोने के लिए छोड़ दिया गया। कोई आर्थिक सहायता आज तक नहीं दिया गया है। साबिर अंसारी से जब पूछताछ किया गया तो उसने बताया कि हमने मुकदमा दर्ज कराया लेकिन प्रशासन ने उस मुकदमें में ऐसी कोई धारा नहीं लगाई जिस प्रकार की घटना हमारे साथ घटी है। भोड़हा गाँव के लोगों को कहना है कि पुनौरा से गौशाला चैक पर जब भी कोई मामला होता है तो दूसरा पक्ष घेर लेता है और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की पहचान कर गाड़ी से उतारकर उसकी पिटाई करता है, यह आम बात हो चुकी है जबकि पुनौरा से गौशाला का यह एकमात्र रास्ता है इसलिए अल्पसंख्यक समुदाय इस रास्ते से खुदको जान जोखिम में डालकर ही गुजरते हैं। जबकि इसी रास्ते में एक ओपी भी है लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि ओपी के लोग भी चोर उचक्के को ही पसंद करते हैं और ओपी के संरक्षण में ही अल्पसंख्यक समुदाय को टारगेट किया जाता है। भोड़हा के ग्रामीणों का साफ तौर पर कहना है कि हर हालत में न्याय चाहिए सरकार इस मामले को गंभीड़ता से ले नहीं तो हमलोग सीतामढ़ी छोड़ किसी और जगह जा कर बसने को मजबूर होंगे।
(यहाँ सारी जानकारी जैनुल अंसारी के अपने चचेरे भाई मो0 अल्लाह रखा अंसारी एवं जैनुल अंसारी का बड़ा बेटा एखलाक अंसारी, जैनुल के पोता मो0 सोहैल एवं जख्मी साबिर अंसारी और साबिर के बेटा जुबैर अंसारी ने बेदारी कारवाँ की जाँच टीम को बताया)
(4)
पुनौरा रोड
यहाँ खस्सी के जानवर का बड़ा बाजार लगता है। यहाँ की एक दुकानदार जमीला खातुन का कहना है कि यहाँ जो भी व्यापारी जानवर लेकर आते हैं वे सब हमारे दुकान में खाना खाते और जिसको रात में ठहरना होता है वह हमारी दुकान में ही ठहरते हैं। लेकिन 20 अक्तूबर को दंगाईयों ने सबसे पहले हमारी दुकान को जला डाला, पैसा जेवर सब लूट ले गए। बहुतों व्यापारी का जानवर भी लूट ले गए। कई व्यापारी तो दहशत में जान बचाकर कहाँ चले गए इसका कोई अता पता नहीं है। जमीला खातुन का कहना है कि पुनौरा रोड की कई दुकाने जला दी गई, कई लोगों का घर जला दिया गया है। कुछ व्यापारी अनहारी गाँव के भी जानवर के बाजार में आते थे उन लोगों का आज भी कोई अता पता नहीं है। लोगों से मिलने के बाद वहाँ जो जानकारी मिली उसमें 9 नौ दुकानें जलाई गई हैं और एक घर जलाया गया है। दुकाने जिसकी जलाई गई हैं उसमें विजय राम (यह गरीब है इसने बताया कि मैने डर के मारे मुकदमा दर्ज नहीं कराया, कहाँ से पैसा लाकर पुलिस वालों को दूँगा), दूसरा रमजानी की दुकान जला दी गई। जिस जगह पर इसकी दुकान थी वहाँ कुछ भी नहीं छोड़ा दंगाईयों ने, तीसरा मो0 गुफरान खान जो रीगा रोड के रहने वाले हैं इनकी दुकान को भी दंगाईयों ने जला डाला और जो भी सामान था लूट कर ले गए। (इसने सनहा किया है), चैथा साजिद मोटर गैरेज, पुनौरा है जिसके गैरेज की तीन गाड़ियाँ जला दी गई जिसमें एक स्कारपियो, दूसरा बोलेरो, तीसरा मारूती वैन है। साथ ही कई गाड़ियों का शीशा इत्यादि भी तोड़ दिया गया और गैरेज का जनरेटर समेत सारा सामान भी लूट ले गए। (इन्होंने जब मुकदमा के लिए थाना को आवेदन दिया तो थाना ने मुकदमा लेने से इंकार कर दिया), पाँचवा मो0 नईम, पुनौरा इनकी भी दुकानें जला दी गई ये जानवर के व्यापारी हैं इनका गोदाम भी लूट लिया गया। 40 (खस्सी) जानवर भी इनका लूट ले गए। इनको जान से मारने का प्रयास भी किया लेकिन किसी प्रकार ये जान बचाने में कामयाब हो सके। (इन्होंने जब मुकदमें के लिए पंकज सिंह थाना प्रभारी को लिख कर दिया तो थाना ने लेने से इंकार कर दिया और गाली देकर भगा भी दिया) बाकी व्यापारी और दुकानदार दहशत के कारण फरार हैं जिनसे मुलाकात नहीं हो सकी।
(5)
मिर्जापुर
मिर्जापुर निवासी मो0 मोईनुलहक अंसारी पिता मो0 कमरूलहक, ग्राम-मिर्जापुर, पो0-बिशनपुर, प्रखण्ड- डुमरा, जिला सीतामढ़ी पर भी दंगाईयों ने आक्रमण किया जब 20 अक्तूबर को जानकी मंदिर वाले रास्ते से नैनाटोली मोहल्ला से मोटरसाईकिल से गजुर रहे थे। 200-250 लोगों ने लाठी डंडे, तलवार और भाले इत्यादि से लैस भीड़ जो पहले से मौजूद थी उसने आवाज लगाई कि दाढ़ी वाला मिया जा रहा है इसको जान से मार दो और तभी सभों ने हमला बोल दिया जिसमें वे बुरी तरह से जख्मी हो गए हैं उनकी मोटरसाईकिल (BR30N-9112) को भी आग लगा दिया। इसी बीच किसी ने मोईनुलहक के पीठ में चाकु या भाला घोंप दिया वे बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े। अब वे खुद का इलाज करा रहे हैं। मोईनुलहक को भी आज तक सरकारी सहायता इलाज हेतु नहीं दिया गया और न ही सीतामढ़ी प्रशासन की ओर से कोई आर्थिक सहायता दी गई। 20 अक्तूबर को हमले में जख्मी मोईनुलहक की ओर से जब मुकदमा के लिए आवेदन दिया गया तो पुलिस ने लेने से इनकार कर दिया और जब मामले में खुद को फँसता देखा तो पुलिस ने 30 अक्तूबर को मुकदमा दर्ज किया है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है यह दंगा पूरी तरह से सुनियोजित था और पुलिस प्रशासन की मिली भगत का परिणाम है कि एकतरफा कार्रवाई भी मुसलमानों पर ही किया जा रहा है।
(6)
जिन बेसकूर मुस्लिम समुदाय को राजोपट्टी से उठाकर जेल में डाल दिया गया है उनका नाम एवं पताः-
1- मो0 शाहिद अली खान पिता मोईन खान, वार्ड न0-9, सितमाढ़ी।
2- मो0 नुरूद्दीन।
3- मो0 हबीब पिता अंगूर शैख।
4- चाँद अंसारी पिता कालू अंसारी।
5- मो0 कैस पिता मो0 रेयाज।
6- फुल मोहम्मद पिता मो0 मंसूर।
7- जाकिर खान रिजवी पिता अरशद खान।
8- वसीम अंसारी पिता जहीर अंसारी।
(7)
जिन लोगों का जान माल, दुकानें, घरों एवं गाड़ियों को जलाया गया है उनका नाम, पता एवं क्षति का आकलनः-
1- साजिद मोटर गैरेज, पुनौरा, इनकी तीन से अधिक गाड़ियों को जलाया गया और गैरेज का
जनरेटर समेत सारा सामान लूट ले गए।
जलाई गई गाड़ियों में:-
एक स्कारपियो जिसका नम्बर - BR01PB-2039 है।
एक बोलेरो जिसका नम्बर - BR06GB-7918 है।
मारूती कार जिसका नम्बर - BR06B-6087 है।
{इसका लगभग 30-35 (तीन से पैंतीस) लाख का नुकसान हुआ है।}
2- जमीला खातुन और मो0 आसिफ के होटल को जलाया एवं लूट लिया गया। इसका लगभग 4-5 (चार से पाँच) लाख का माली नुकसान हुआ है।
3- मो0 नईम, पुनौरा बाजार, ये जानवर व्यापारी हैं इनके गोदाम और जानवर को लूट ले गए और गोदाम को जला भी दिया। लग-भग 40 (चालिस खस्सी) जानवर को लूट लिए और गोदाम का सारा सामान, जेवर भी लूट ले गए। (इसका लग-भग 3-4 (तीन से चार) लाख का नुकसान हुआ है।)
4- विजय राम, गुफरान खान एवं मो0 रमजानी सभी पुनौरा वार्ड न0-3 की दुकानें लूटी और जलाई गई हैं इन सभों का भी 40-50 (चालीस पचास) हजार तक का माली नुकसान हुआ है।
5- मो0 फिरोज जो ठेला लगाते है पुनौरा में ही उनके ठेला को भी लूटा गया जबकि जहाँ पर यह व्यक्ति ठेला लगाता है उसका भाड़ा भी सालाना 25 हजार देता है अब उसे वहाँ ठेला नहीं लगाने दिया जा रहा है।
(इसका भी 20-25 हजार का माली नुकसान हुआ है।)
6- मिर्चाईपट्टी के मो0 साजिद का घर जला दिया गया, दूसरे दिन पुलिस उसे ही गिरफ्तार करके भी ले गई किस लेकिन बाद में उसे जमानत पर छोड़ दिया गया है। {इसका भी 1-2 (एक से दो) लाख का माली नुकसान हुआ है।}
7- मिर्चाईपट्टी में मो0 नबी की फल दुकानें लूट ली गई जिसमें उसका 30-35 हजार को माली नुकसान हुआ है।
8- मिर्चाईपट्टी में रिंगबांध के निकट मो0 तमन्ने के घर में भी लूट पाट कर आग लगा दिया गया है। इनका भी लग-भग 2-3 लाख का माली नुकसान हुआ है।
9- अकबर राईन, रौशन राईन आदि की सब्जी दुकान को भी दंगाईयों ने नहीं छोड़ा। ये लोग छोटे कारोबारी है इन्हें भी परेशानी उठानी पड़ रही है।
10- कफीला खातुन पति मो0 सोहैल अहमद, वार्ड न0-9 मिर्चाईपट्टी के घर को आग लगा दिया, बेटी के जहेज का सारा सामन लूट ले गए दंगाई लग-भग 5-6 (पाँच से छः) लाख का सामान और 4 (चार) लाख रूपया नकदी लूट कर फरार हो गए।
11- सलमान खान, मोईन अंसारी, मो0 सईद, मो0 चाँद, मोबीनुलहक, असगर अली, मो0 मुमताज आदि की दुकानें भी जलाई गईं और सामान लूटा गया। इन लोगों का काफी माली नुकसान हुआ है। इसके अलावा मो0 सलीम की चप्पल दकान को भी लूट लिया गया।
मो0 सलीम का लगभग 3-4 (तीन से चार) लाख का माली नुकसान हुआ है। साथ ही सलमान खान आदि को जो माली नुकसान हुआ है उसमें 15-20 (पन्द्रह से बीस) लाख का माली नुकसान हुआ है।
12- जानकी स्थान में गौशाला पर विधा टेंट हाउस मो0 असगर अंसारी का है, इसके टेंट हाउस का शटर तोड़ सारा सामन दंगाईयों ने लूट लिया जिसका तखमीना लगभग 6-7 (छः से सात) लाख होगा।
संलग्नः
1- साबिर अंसारी के मुकमदे एवं इलाज के रिपोर्ट की छायाप्रति।
3- जलाए गए घर एवं गाड़ियों की फोटो।
(नजरे आलम)
राष्ट्रीय अध्यक्ष
जांचदल:-
1- नजरे आलम
2- कारी सुल्तान अख्तर,
3- मो0 सफीउर रहमान (अधिवक्ता)
4- मकसूद आलम पप्पु खान
5- मौलाना मेंहदी रजा कादरी
6- मौलाना गुलाम हक्कानी
7- विजय कुमार
(साभार: सबरंग)