चुनाव बाद गठबंधन से भी संप्रग के पास पर्याप्त सीटें नहीं

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

नई दिल्ली: चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से पिछड़ने के बाद कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की नजर उत्तर प्रदेश में महागठबंधन पर और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस पर टिकी है, जिससे वह अपने खाते में कुछ सीटें जोड़ सके। सी-वोटर-आईएएनएस सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के महागठबंधन को 47 सीटें मिल सकती हैं। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस 34 सीटों पर जीत बरकरार रख सकती है। संप्रग को 141 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें कांग्रेस की 86 और सहयोगी दलों की 55 सीटें शामिल हैं। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम (आल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के साथ) और केरल (वाम मोर्चा के साथ) में अगर चुनाव बाद गठबंधन होता है तो संप्रग की कुल सीटें 226 हो सकती हैं। इसके बाद भी यह बहुमत के जादुई आंकड़े 272 से पीछे रहेगा, लेकिन 2014 के मुकाबले मजबूत विपक्ष बनकर उभरेगा। 

संप्रग के भीतर तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) 30 सीटें जीत सकती है। संप्रग में शामिल बाकी सभी पार्टियां हाशिये पर ही रहेंगी। महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) छह सीटें जीत सकती है, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) चार और झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) पांच सीटें जीत सकती है।

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