विधिक जागरूकता शिविर सह मानव अधिकार दिवस

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गुमला: झालसा रांची एवं प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश संदीप श्रीवास्तव के निर्देशानुसार विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन एस0 एस0 बालिका उच्च विद्यालय परिसर में हुआ। जागरूकता शिविर का नेतृत्व जिला विधिक सेवा प्राधिकार गुमला के पैनल अधिवक्ता बुन्देश्वर गोप के द्वारा किया गया।

जगरूकता शिविर आयोजन के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार गुमला विनोद कुमार के द्वारा मानव अधिकार दिवस के बारे में विस्तार से बतलाया गया। उन्होंने कहा मानव अधिकार दिवस हर साल 10 दिसंबर को दुनिया भर में मनाया जाता है। वर्ष 1948 को पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर को हर साल इसे मनाए जाने की घोषणा की गई थी, इसे सार्वभौमिक मानव अधिकार दिवस घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के सम्मान में प्रतिवर्ष इसे विशेष स्थिति पर मनाया जाता है। श्री विनोद कुमार के द्वारा मानव अधिकार दिवस को मनाने के कारण और उद्देश्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा मानव अधिकार दिवस मनुष्य के लिए वास्तविक अधिकार प्राप्त करने के लिए दुनिया भर में लोगों द्वारा मनाया जाता है। उन्होंने बताते हुए कहा, ऐसे अधिकार जो मानव के लिए अति आवश्यक है यथा जीने का अधिकार बोलने का अधिकार, धर्म का अधिकार, संस्ति का अधिकार, चलने का अधिकार इत्यादि मानव अधिकार होते है। साथ ही कहा कि बात अगर भारत के संदर्भ में किया जाए तो हम देखते हैं कि हमारा संविधान भी हमें मूलभूत अधिकारों से परिपूर्ण करता है भारत के संविधान ने हमें मूल अधिकार दिए है। उन्होंने कहा मूल अधिकार एवं मानवाधिकार में ज्यादा अंतर नहीं है मानवाधिकार दिवस दुनिया भर के लोगों के शारीरिक, सामाजिक, सांस्तिक और आध्यात्मिक भले व कल्याण में सुधार करने के लिए मनाया जाता है। श्री कुमार ने मानवाधिकार के बारे में बतलाया कि मानव अधिकार अपने अधिकारों के साथ-साथ दूसरों के अधिकारों के बारे में भी सोचता है तथा गुमला की सबसे बड़ी विडंबना पर प्रकाश डालते हुए कहा, कि मानव अधिकार मामलें गुमला के लिए बड़ा ही शर्म का विषय बन गया है इससे गरीब बेसहारा औरतों को मारा जा रहा है, उसके जीने के अधिकार से दूर किया जा रहा है अतः हम सभी को दूसरों के अधिकारों के बारे में सोचना चाहिए। साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित बच्चियों को शिक्षा के अधिकार के बारे में बताया एवं कहा कि अगर उनके गांव या कस्बे में कोई बच्चे शिक्षा से दूर है तो उन्हें डालसा कार्यालय की मदद से विद्यालय में नामांकन कराया जा सकता है एवं बाल विवाह के बारे में भी जानकारी दी। अधिवक्ता द्वारा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मानवाधिकार दिवस मानवाधिकार संगठनों के काम और उन सभी लोगों को लगातार प्रयासों के साथ मनाते हैं और विश्वव्यापी मानवाधिकारों का बचाव करते हैं भारत में 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस का जश्न हमें मानव अधिकार मानकों के जवाबदेही का न्याय करने का मौका देता है। मानवाधिकार सभी मनुष्यों को उनकी समृद्धि और खुशी के लिए सुनिश्चित किया जाना चाहिए भारत एक लोकतांत्रिक देश है उसके नागरिकों को ऐसे अधिकार प्रदान करता है भारतीय संविधान के निर्माताओं ने हमारे संविधान में उपरोक्त कई मानव अधिकारों को शामिल किया है। हमारे मौलिक अधिकार पर आधारित है। इन अधिकारों को भारतीय लोगों के लिए बहुत महत्व है। इस अवसर पर तापस लाल अधिवक्ता गुमला ने भी अपने विचार कार्यक्रम में रखें एवं छात्राओं को यातायात के नियमों के बारे में बताते हुए कहा, बिना लाइसेंस के वाहन न चलाएं इससे खुद को एवं पूरे परिवार को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

कार्यक्रम में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार, प्रधानाध्यापिका एसएस बालिका उच्च विद्यालय गुमला शशि नीलम, कुंडेश्वर एवं अधिवक्ता गुमला तापस लाल, जियाउल हक सहायक जिला विधिक सेवा प्राधिकार एवं मनीष कुमार उपस्थित थे।

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