(दूसरी बार और पिछली बार से अधिक मतों से जीत कर भारत के प्रधानमंत्री बने व्यक्ति में कुछ बात तो होनी ही चाहिए. नरेंद्र मोदी में भी हैं)
मैं मोदी जी का प्रशंसक नहीं हूं. यह सर्वविदित भी है. फिर भी आज उनकी खूबियां व विशेषताएं खोजने का प्रयास करता हूँ. भरसक ईमानदारी से-
-नरेंद्र मोदी कुशल वक्ता हैं. (कुशल, अच्छे नहीं) उनमें जनता, यानी अपने टारगेट श्रोता/दर्शक के मनोविज्ञान की पूरी समझ है. उनको पता होता है कि ‘जनता’ उनकी किस बात पर खुश होगी, ताली बजायेगी. इस लिहाज से वे प्रभावशाली वक्ता हैं.
-उनमें कठिन फैसला लेने, यानी रिस्क उठाने का माद्दा है.
-संभवतः निजी रूप में ईमानदार हैं, आर्थिक मामले में. हालांकि अपने चहेते धंधेबाजों को अनुचित तरीकों से लाभ पहुंचा कर (ऐसे गंभीर आरोप हैं) जरूरत के समय अकूत धन पाने की गारंटी कर लेने से वह ईमानदारी संदिग्ध हो जाती है.
-परिवारवाद और भाई-भतीजा वाद से मुक्त हैं. वैसे पत्नी का त्याग ही कर दिया है तो परिवार क्या और वंश क्या. फिर भी अपने निकट सम्बन्धियों को अपने पद और हैसियत से बेजा लाभ देते हैं, ऐसा कोई आरोप उन पर नहीं लगा है. यह बड़ी बात है.
-आत्मविश्वास से लबरेज हैं.
-ऊर्जा बहुत है. जीतोड़ मेहनत करते हैं, फिर भी तरोताजा बने रहते हैं..
-गलत या सही, कुशल शासक /प्रबंधक के रूप में स्थापित हैं.
-मीडिया से दूरी बरतते हुए भी आम देशवासियों सें संवाद कायम किये रहते हैं. और ऐसा प्रतीत होता है कि जनता (जिस भी प्रतिशत में) उनसे प्रभावित है. आदि आदि..
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यों तो मेरी समझ से उनकी चुनावी सफलता और लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण उनकी ‘हिंदू ह्रदय सम्राट’ की छवि ही है. और यह उनकी निजी सफलता से अधिक संघ के निरंतर प्रयास का नतीजा है. हिन्दी पट्टी के अलावा भी देश के एक बड़े हिस्से के हिन्दुओं को मोदी में सदियों बाद बना भारत का हिन्दू शासक दिखने लगा है. इसलिए सरकार की तमाम नाकामियों को भूल कर वे ‘हिदू राष्ट्र’ के निर्माण की सम्भावना/उम्मीद से अभिभूत हैं. यदि मोदी ‘मैजिक’ जैसा कुछ होता, तो वह केरल, तमिलनाडु, आंध्र, तेलांगना, पंजाब, मप्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ आदि में बेअसर कैसे हो जाता?
उनकी इस सफलता का एक और कारण उनके विकल्प के रूप में दिख रहे नेताओं का कमजोर, चमकहीन और अविश्वसनीय होना भी है. फिर भी उनमें कुछ बात तो है, जो उन्हें समकालीन अन्य नेताओं से अलग करती है. और लोकतंत्र में 'जो जीता वही सिकंदर' होता ही है.
इनके अलावा भी मोदी में अनेक विशेषताएं हैं, जिन्हें ‘गुण’ माना जाए या नहीं, इसे लेकर मुझे भी दुविधा है. जैसे—
- ये दूसरों के काम का श्रेय लेने में भी माहिर हैं.
-मीडिया को मैनेज करना बखूबी आता है.
यदि अभिनय को भी गुण मान लें, तो मोदी जी निःसंदेह एक बेजोड़ अभिनेता भी हैं, जिसका प्रदर्शन वे चुनावी सभाओं में भी करते रहते हैं.
(उनकी कमियां बाद में...)