चेन्नई के केजे हॉस्पिटल रिसर्च एंड पोस्टग्रेजुएट सेंटर के शोधकर्ताओं ने हथेली के आकार का एक उपकरण विकसित किया है जिससे कुछ ही सेकेंड में COVID -19 संक्रमण का पता लगा सकते हैं। एक व्यक्ति को केवल एक प्लास्टिक के दस्ताने में अपना हाथ डालना होता है और परिणाम जुड़े हुए कंप्यूटर पर फ्लैश करता है। इस प्रक्रिया में किसी तरह की चुभन, आदि का एहसास तक नहीं होता। इस पूरी प्रक्रिया में चंद सेकेंड ही लगते हैं, जबकि RT-PCR टेस्ट में 6 घंटे तक लगते हैं।
डिवाइस के पीछे की तकनीक बहुत कम मात्रा में बिजली की माप पर आधारित है जो मानव शरीर उत्पन्न करता है। एक सामान्य व्यक्ति में, यह 23 और 25 मिलीवोल्ट (एमवी) के बीच होता है। शोधकर्ताओं के निष्कर्षों के अनुसार, COVID से संक्रमित लोग उससे भी कम, मात्र 5-15 mV रीडिंग दिखाते हैं।
इस डिवाइस में लगे सेंसर लो ब्लड ऑक्सीजन सैचुरेशन, ब्लड प्रेशर, सफेद ब्लड सेल, रेड ब्लड सेल, प्लेटलेट काउंट और बुखार को भी काउंट करने में कामयाब रहते हैं। इस डिवाइस को तैयार करने वाली टीम का कहना है कि उसे ये आइडिया कैंसर रोगियों पर किए गए अध्ययन के दौरान सामने आया। उसमें कैंसर मरीज की बिजली की कंपन 68MV निकली थी। उससे पता चल रहा था कि रोगी को बुखार और शरीर में बन रही कोशिकाओं में गुणात्मक बढ़ोत्तरी तेज हो रही है। सेंसर रक्तचाप और बुखार के अलावा कम रक्त ऑक्सीजन संतृप्ति और व्हाइट ब्लड सेल्स (डब्ल्यूबीसी), रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) और प्लेटलेट्स की कम संख्या का भी पता लगा सकते हैं।
केजे रिसर्च फाउंडेशन के अनुसंधान टीम के सदस्यगण, धजस्वी राजगोपाल और अरुण इंबराज ने बताया कि “हमने चेन्नई में स्टैनली और ओमानंदुर अस्पतालों में आने वाले सैकड़ों रोगियों पर इस डिवाइस (Palm-Sized Device) की जांच की। आरटी-पीसीआर और हमारी डिवाइस के नतीजे 100 पर्सेंट एक जैसे निकले। वहीं स्टैंडर्ड ब्लड काउंट करीब 98 पर्सेंट सही निकला।” अस्पताल के संस्थापक व मुख्य सर्जन डॉ जेगादेसन के अनुसार उनका शोध संस्थान को भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से मान्यता प्राप्त है।
अविष्कारक टीम ने बताया कि यह डिवाइस पिछले 15 महीनों में तैयार की गई है और इस पर करीब 10 हजार रुपये का खर्च आया है। टीम ने इस डिवाइस का पेटेंट करवाने के लिए अप्लाई कर दिया है। इसके साथ ही रिसर्च पेपर भी तैयार किया जा रहा है। अस्पताल के चीफ सर्जन जेगादीसन कहते हैं कि उनका रोल इस मामले में केवल आइडिया देने, रिसर्च और विकास की सुविधा देने का था। कई ऐसे पार्टनर हैं, जो अब इसके कमर्शल उत्पादन का जिम्मा उठाएगी।