विकास की वेदी पर और कितनी बलि?

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महान प्रोफेसर गुरू दास अग्रवाल जो बर्कले के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से दो वर्षों में पीएचडी करने के बाद विख्यात भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर में सीधे लेक्चरर से प्रोफेसर प्रोन्नत किए गए थे और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पहले सदस्य-सचिव के रूप में उन्होंने भारत में प्रदूषण नियंत्रण हेतु कई महत्वपूर्ण मानक तय किए, अंत में अपनी सरकार को गंगा को पुनर्जीवित करने के अपने आग्रह को न समझा पाए जिसकी कीमत उन्हें अपनी जान गवां कर देनी पड़ी। हरिद्वार में 112 दिनों तक सिर्फ नींबू पानी और शहद पर आमरण अनशन करने के पश्चात, जिसमें से आखिरी के तीन दिन निराजल रहे, 11 अक्टूबर, 2018, को ऋषिकेश

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तेजाब हमले की शिकार लक्ष्मी का दर्द-'जिंदगी ही संघर्ष बन गई है'

नई दिल्ली: 'अब तो जिंदगी ही संघर्ष बन गई है, हर दिन चुनौती हैं।' ये शब्द हैं सेलिब्रिटी बन चुकीं तेजाब हमले की शिकार लक्ष्मी अग्रवाल के। जब उनसे उनकी जिंदगी के बारे में सवाल किए जाते हैं तो उनके होठों से ये शब्द निकलते हैं और उनकी आंखें डबडबा उठती हैं। 

यह अलग बात है कि लक्ष्मी ने अपने संघर्षो के बल आज थोड़ा नाम और थोड़ी शोहरत कमा ली है, और इसी का परिणाम है कि उनके ऊपर मेघना गुलजार जैसी काबिल फिल्मकार फिल्म बना रही हैं, लेकिन तेजाब हमले ने उनके सामने जो चुनौतियां पेश की हैं, पूरी जिंदगी एक अंतहीन संघर्ष में तब्दील हो गई है।

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मजबूत इरादे वाली स्वप्ना बर्मन की सफलता की कहानी

कोलकाता: एशियाई खेलों में सोना जीत चुकीं भारत की पहली हेप्टेथलीट स्वप्ना बर्मन को अपनी कामयाबी हासिल करने से पहले काफी बुरे दौर का सामना करना पड़ा था। लेकिन अत्यंत गरीबी और शारीरिक विकृति का दर्द उसकी इस सफलता की राह में बाधक नहीं बन सका। 

हालांकि 21 वर्षीया इस एथलीट की प्राथमिकता में सोने का तमगा हासिल करने से कहीं ज्यादा सरकारी नौकरी हासिल करना था।

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स्वामी सानंद सो गए गंगा की दुर्दशा बयां करते-करते..

गंगा नदी निर्मल और अविरल हो, प्रदूषण मुक्त किया जाए, गंगा की रक्षा का कानून बने, बांधों का निर्माण बंद हो, इन मांगों को लेकर गंगा नदी के तट पर हरिद्वार में 112 दिन से अनशन कर रहे प्रो.जी.डी. अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद ने गुरुवार को प्राण त्याग दिए। स्वामी सानंद 109 दिन तक सिर्फ नींबू-पानी लेते रहे और 9 अक्टूबर से उन्होंने जल ग्रहण करना भी बंद कर दिया था। 

आईआईटी-कानपुर में प्रोफेसर रहे स्वामी सानंद गंगा नदी के बड़े जानकारों में से एक थे। वह गंगा की दुर्दशा को लेकर वर्षो से चिंता जता रहे थे। इसके लिए उन्होंने कई आंदोलन भी किए।

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