नागरिकता संशोधन बिल को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कण्डेय काटजू ने संविधान का उल्लंघन करनेवाला बताया है। ‘द वीक’ में छपे एक लेख में नागरिकता संशोधन बिल पर पूर्व जज काटजू ने अपने विचार रखें। उन्होंने लेख में कहा ‘भारत में रहने वाले नागरिकों और गैर-नागरिकों को वे समान अधिकार प्राप्त हैं जो आर्टिकल 14 और 21 में वर्णित हैं। यानि कि चाहे कोई नागरिक हो या न हो अगर वह भारत में रह रहे हैं तो उन्हें समानता का अधिकार प्राप्त है।
उन्होंने कहा है कि यह बिल संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का खुला उल्लंघन करता है। काटजू ने कहा कि ये बिल समानता और जीने और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है। अपनी बात को पुख्ता करने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 23 साल पुराने जजमेंट का भी हवाला दिया।
इस बिल पर गुरुवार देर रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दस्तख्त कर दिए जिसके बाद यह कानून का रूप ले चुका है। इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी- हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
अपने इस लेख में अपनी बात को और पुख्ता करने के लिए उन्होंने 23 साल पुराने यानि कि 1996 के एक केस का हवाला दिया। उन्होंने नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन बनाम अरुणाचल प्रदेश सरकार केस का जिक्र किया जिसमें बांग्लादेश से आए चकमा शरणार्थियों के मुद्दे पर कोर्ट ने माना कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा अधिकृत जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार भी चकमा शरणार्थियों को मिले हुए है, हालांकि वे भारतीय नागरिक नहीं थे।
इस बिल का सबसे ज्यादा असर पूर्वोत्तर राज्यों विशेषकर असम पर पड़ेगा। इन राज्यों का कहना है कि पड़ोसी देशों से आने वाले शरणार्थी भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले पूर्वोत्तर राज्यों में ही आकर बसने लगेंगे। इसके अलावा राज्य में पहले से मौजूद हजारों लोगों को नागरिकता मिल जाएगी। इसी वजह से पूर्वोत्तर के राज्यों में इसका जमकर विरोध हो रहा है। असम में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन में अबतक 3 तीन लोगो की मौत हो चुकी है। सरकार ने अहतियातन राज्य के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी है।
गौरतलब है कि काटजू देश से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। अब पूर्व जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने असम में मोबाइल इंटरनेट सेवा सस्पेंड किये जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। पूर्व जज ने ट्विटर पर अपनी राय रखते हुए कहा कि ‘पहले कश्मीर, फिर असम…भारत में अब इंटरनेट, इत्यादि सेवाएं कहां प्रतिबंधित होंगी?’ याद दिला दें इससे पहले भी जब इसी साल जनवरी के महीने में असम में नागरिता संशोधन बिल को लेकर हंगामा मचा था तब जस्टिस काटजू ने कहा था कि ‘पूरा असम नागरिकता संशोधन बिल की वजह से जल रहा है।’