असम नागरिक बजट प्रकाशित करने वाला इकलौता राज्य : ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल

नई दिल्ली: असम देश के 29 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में से इकलौता राज्य है, जिसने सार्वजनिक क्षेत्र में नागरिक बजट प्रकाशित किया है। ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में गुरुवार को यह बातें कही गई। 

रिपोर्ट में बताया गया कि असम, 29 राज्यों में इकलौता राज्य है जो बजट जागरूकता कार्यक्रम एवं नागरिक बजट पेश करता है। वहीं, हिमाचल, ओडिशा और बिहार ऐसे 3 राज्य हैं जो बजट प्रक्रिया में नागरिकों के सुझाव मांगते हैं। ओडिशा नागरिक सुझाव के लिए वाट्स एप, मैसेज, पत्र और ईमेल का माध्यम भी प्रयोग करता है। वहीं, लोगों द्वारा वाट्सएप और ईमेल द्वारा सुझाव को पसंद किया गया है। 

रिपोर्ट में कहा गया कि आंध्र प्रदेश, अरुणाचल, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तथा एक केंद्र शासित राज्य पुड्डुचेरी ने बजट के लिए अलग से वेबसाइट शुरू किया है, जहां बजट सम्बन्धी दस्तावेज उपलब्ध हैं। इसके लिए हिमाचल प्रदेश ने नागरिक मोबाइल एप का उपयोग किया है। असम और झारखंड में बजट पर लिए गए निर्णय सम्बन्धी रिपोर्ट जारी की जाती है। ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश ने राजकोषीय एवं वित्तीय सम्बन्धी वेबसाइट बनाई है, जहां राज्य की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध है। 

ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल के ओपन बजट सर्वेक्षण 2017 में भारत का स्थान 115 देशों में 53 था। वहीं, भारत बजट पारदर्शिता में 100 देशों में 48वें नंबर पर है। बजट में जन सहभागिता पर 100 देशों में 15वें नंबर और बजट निरीक्षण में 100 देशों में 48वें नंबर है। 

ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के अध्यक्ष और आयकर निपटान आयोग के पूर्व अध्यक्ष एस. आर. वाधवा ने कहा, “देश का दुर्भाग्य है की देश में ‘केंद्रीय बजट’ के अलावा राज्यों के बजटों को कभी प्राथमिकता नहीं दी गई। केवल केंद्रीय बजट को ही प्राथमिकता दी गई और प्रत्येक वर्ष संसद में केवल यही चर्चा और निरीक्षण का विषय रहा है। वहीं दूसरी तरफ बगैर किसी सामाजिक चर्चा के राज्य सरकारों द्वारा राज्यों में बजट प्रस्तुत होते रहे हैं। नतीजन, कम पारदर्शी बजट राज्य सरकारों द्वारा पास होते रहे हैं जो आम जनमानस के उम्मीद पर सफल नहीं हो रहे।”

उन्होंने कहा, “प्रमुख योजनाओं को लागू करने का भार राज्य सरकारों पर ही है। बजट एवं राजकोष को लेकर राज्य सरकारों द्वारा लिए गए निर्णय में नागरिकों को प्रभावित करने की क्षमता केंद्र के बजाए ज्यादा होती है। राज्य सरकारों का खर्च, केंद्र सरकार से कहीं ज्यादा है। इसीलिए, यह आवश्यक है कि राज्य बजट को प्राथमिकता देते हुए महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बनाया जाए।”

इस रिपोर्ट में कहा गया कि केंद्र की तुलना में राज्य सरकार के बजट कम पारदर्शी एवं समावेशी हैं। राज्य सरकारों के बजट कम सुलभ है। बजट एवं सम्बन्धी दस्तावेजों को सार्वजानिक करने के लिए राज्य सरकारों पर जनता एवं मीडिया का दवाब कम होता है, शायद इसीलिए राज्य सरकार समाज के हितधारकों संग व्यापक परामर्श भूल जाते है। आशय है कि जब राज्य बजट के आकलन की बात होती है तो जनसहभागिता एवं हितधारकों का सहयोग कम होता है। 

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