नई दिल्ली: जी प्रबंधन के साथ ऋणदाताओं की हाल में हुई बैठक में नए तथ्य उभरकर सामने आए हैं। बैठक में सामने आया है कि प्रमोटरों के ऋण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपने सूचीबद्ध जी एंटरटेनमेंट शेयरों की प्रतिभूति को गिरवी रख कर लिए गए हैं और ये समूह की देनदारी में जुड़ गए हैं। ये ऋण 13,000 करोड़ रुपये से अधिक के हैं। इस ऋण का ब्रेक-अप इस प्रकार है : म्यूचुअल फंड्स 7000 करोड़ रुपये, एनएफबीसी/बैंक 4000 करोड़ रुपये, ऑफशोर ऋणदाता 2000 करोड़ रुपये।
स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग के मुताबिक, प्रमोटरों के समूह में शामिल मॉरीशस की तीन संस्थाओं की जी एंटरटेनमेंट में 12.5 फीसदी की हिस्सेदारी है। ये तीन संस्थाएं हैं -एस्सेल मीडिया वेंचर्स लिमिटेड 10.7 फीसदी, एस्सेल होल्डिंग 0.2 फीसदी और ईज इंटरनेशनल 1.5 फीसदी। ये सभी 41.6 फीसदी प्रमोटर होल्डिंग में हिस्सेदार हैं।
फाइलिंग के मुताबिक, मॉरीशस की इन संस्थाओं द्वारा लिए गए शेयर भार रहित हैं, लेकिन प्रमोटरों ने भारतीय ऋणदाताओं को बताया है कि ये संस्थाएं भारतीय ऋणदाताओं को प्रतिभूति मुहैया कराने के लिए उपलब्ध नहीं हैं।
वर्तमान में भारतीय ऋणदाताओं के लिए जी एंटरटेनमेंट का प्रतिभूति मूल्य 9,000 करोड़ रुपये है, जबकि इसपर 11 हजार करोड़ रुपये का ऋण है, जो कि वास्तव में एक बहुत बड़ा घाटा है।
मॉरीशस की संस्थाओं के शेयर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अतीत में प्रमोटरों द्वारा लिए गए दो हजार करोड़ रुपये के ऑफशोर ऋण के लिए प्रतिभूति मुहैया कराते हैं।
स्टॉक एक्सचेंज ने मॉरीशस की संस्थाओं के शेयरों पर किसी प्रकार के प्रतिबंध का खुलासा नहीं किया है, लेकिन किसी न किसी तरीके से स्पष्ट रूप से इन्हें प्रतिबंधित किया गया है। हालांकि यह अकल्पनीय है कि भारतीय ऋणदाता प्रतिभूति कवर में भारी कमी का सामना कर रहे हैं और वे कवर के लिए इन अतिरिक्त शेयरों की मांग भी नहीं कर सकते।
प्रमोटरों के शेयर पर लिए गए ऋणों पर वार्षिक ब्याज की देनदारी 1,100 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसके भुगतान के लिए जी एंटरटेनमेंट के नकदी प्रवाह के अलावा कोई स्पष्ट स्रोत नहीं है।