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झारखंड में सरकारी तंत्र की लापरवाही, डोभा (गढ्ढा) में डूबने से कई जिलों के 34 बच्चे मरे

रांची: झारखंड में अफसर-तंत्र की लापरवाही कहें या ‘बददिमागी’ या फिर अपने आकाओं को खुश करने की हड़बड़ी, इस कदर बढ़ती जा रही है कि इंसानी जान की कीमत ही नहीं रही । जल संरक्षण एवं सिंचाई स्त्रोत विकसित करने के नाम पर सरकार ने योजना बनायी कि गांवों के खेतों के किनारे डोभा (गढ्ढा) बनवाया जाये। चारों ओर सुरक्षा घेरा की व्यकवस्था हो। लेकिन सरकारी तंत्र ने उपलब्धि दिखाने के लिए बड़ी संख्या में गढ़्ढे तो खुदवाया लेकिन सुरक्षा व्यवस्था नदारद। एक एक कर गांव के बच्चे उसमें डूब कर मरने लगे तो सरकार ने मुआवजे की घोषणा की। 50 हजार से लेकर दो लाख तक। लेकिन डोभे में मौत का सिलसिला नहीं थमा। यानी, सुरक्षा की ओर पहल नहीं हुई। और झारखंड के कई जिलों में अबतक 34 नौनिहाल काल के गाल में समा चुके हैं। यह जानकारी ओंकार विश्वाकर्मा द्वारा आरटीआई दायर करने के बाद सामने आयी है। विश्वाकर्मा ने यह भी पता लगा लिया है कि मारे गये बच्चों के परिजनों को मुआवजा देने के नाम पर भी भारी गड़बडि़यां हो रही है। किसी को दो लाख तो किसी को मात्र 23 हजार मिला। 26 परिवार तो ऐसे हैं जिनको अबतक कुछ नहीं मिला है। विश्वकर्मा ने इस बाबत विगत एक सितंबर को मुख्यसचिव से न्याय की अपील की है। विश्वकर्मा ने चेतावनी दी है कि पंद्रह दिनों के भीतर इस मसले पर सरकार कार्रवाई नहीं करती तो वह हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे। 

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