justice-lokur

कॉलेजियम का फैसला सार्वजनिक न करना निराशाजनक : न्यायमूर्ति लोकुर

नई दिल्ली: न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन को पदोन्नत किए जाने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा 12 दिसंबर पारित प्रस्ताव को सार्वजनिक न किए जाने के प्रति निराशा जाहिर करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मदन लोकुर ने बुधवार को कॉलेजियम प्रणाली में ‘सुधार’ की वकालत की। यहां आयोजित एक संवाद सत्र में न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा, “इससे मुझे निराशा हुई कि 12 दिसंबर, 2018 को पारित प्रस्ताव को सार्वजनिक नहीं किया गया। लेकिन ऐसा क्यों नहीं किया गया, मैं नहीं जानता।”

कॉलेजियम के 12 दिसंबर के निर्णय के उलट कॉलेजियम ने 10 जनवरी को 32 अन्य न्यायाधीशों को दरकिनार कर न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया था।

उल्लेखनीय है कि 12 दिसंबर को जिस कॉलेजियम की बैठक हुई थी, उसमें न्यायमूर्ति लोकुर भी शामिल थे।

यह पूछे जाने पर कि किस वजह से कॉलेजियम ने यह निर्णय लिया? न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा कि उन्हें ‘अतिरिक्त सामग्री’ की जानकारी नहीं है, जिस वजह से कॉलेजियम का दिसंबर का निर्णय बदला गया।

उन्होंने कहा कि मौजूदा माहौल में हालांकि कॉलेजियम प्रणाली महत्वपूर्ण है और प्रणाली को सुधारने और इसमें बेहतरी लाने की जरूरत है।

Scroll to Top