Trending

budget2019

लोकलुभावन बजट से राजकोषीय घाटा बढ़ेगा : फिच

नई दिल्ली: वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने आगामी अंतरिम बजट में चुनाव पूर्व लोकलुभावन घोषणाओं को लेकर चेताया है और कहा है कि इससे सरकार लगातार दूसरे साल राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से चूक जाएगी। 

फिच रेटिंग की एक नोट के मुताबिक, वोटरों को लुभाने के लिए सरकार पर नए व्यय का दवाब है, खासतौर से ग्रामीण और छोटे व्यापारियों के लिए। क्योंकि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी आम चुनावों में जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है। 

30 जनवरी को तैयार किए गए इस परचे में कहा गया, “भाजपा हालिया विधानसभा चुनावों में कई राज्यों में सत्ता से बाहर हो गई, क्योंकि ग्रामीण संकट में हैं और लोगों को रोजगार की चिन्ता है।”

परचे में आगे कहा गया, “संभावना है कि लक्षित नगदी कार्यक्रम के जरिए मदद मुहैया कराई जाएगी, क्योंकि वे विकल्प के नकारात्मक जोखिम से बचाते हैं, जैसे अतीत में कृषि कर्ज छूट से कर्ज पुर्नभुगतान संस्कृति क्षीण हुई थी।”

नोट के मुताबिक, लोकलुभावन व्यय से राजकोषीय घाटे पर दवाब बढ़ेगा, जोकि वित्त वर्ष 2018-19 में कर संग्रह में कमी से पहले से ही दवाब में है। 

इसमें कहा गया, “नई जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) से प्राप्त राजस्व लक्ष्य से कम रहा है।”

सबको संतुष्ट करनेवाला बजट पेश होगा

वित्त मंत्री पीयूष गोयल शुक्रवार को लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करेंगे, जो कि लोकसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार का पूर्ण बजट हो सकता है। इसमें मध्यम वर्ग और कॉर्पोरेट को कर छूट की उम्मीद है, जबकि संकटग्रस्त किसानों और लघु उद्यम क्षेत्र को राहत पैकेज की उम्मीद है। 

गोयल को अरुण जेटली की जगह पर वित्त मंत्रालय का कार्यभार दिया गया है। जेटली फिलहाल अमेरिका में इलाज करा रहे हैं। माना जा रहा है कि गोयल विभिन्न श्रेणियों को छूट और राहत प्रदान कर इस बार लेखानुदान की परंपरा तोड़कर पूर्ण बजट पेश करेंगे। 

सामान्यत: आम चुनावों से पहले अंतरिम बजट सिर्फ चार महीनों के लेखानुदान के लिए पेश किया जाता है, ताकि सरकारी कामकाज और पहले से चल रहे कार्यक्रम प्रभावित ना हो और नई सरकार पूर्ण बजट प्रस्तुत कर सके। 

बिना पोर्टफोलियो के मंत्री अरुण जेटली ने पहले ही संकेत दिया था कि अंतरिम बजट परंपरा के अनुसार नहीं होगा, क्योंकि संकटग्रस्त कृषि क्षेत्र को राहत देने में देर नहीं की जा सकती और इसके लिए लेखानुदान पर्याप्त नहीं होगा।

हालांकि रिकार्ड के लिए सरकार ने बुधवार को कहा कि बजट को अंतरिम बजट 2019-20 कहा जाएगा, जबकि मीडिया में इसे ‘आम बजट’ बताया जा रहा है।

अंतरिम बजट में मध्य वर्ग के करदाताओं के लिए आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये सालाना की जा सकती है। वहीं, कॉर्पोरेट कर को 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी किया जा सकता है।

कृषि क्षेत्र को छोटे और सीमांत किसानों के लिए 15,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का प्रत्यक्ष निवेश समर्थन दिया जा सकता है। वहीं, मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी द्वारा लागू की गई भावान्तर जैसी योजना केंद्र सरकार भी लागू कर सकती है। इसमें किसानों को फसल के बाजार मूल्य और उचित मूल्य के बीच के अंतर का भुगतान सरकार करती है।

नोटबंदी और जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को लागू करने से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। बजट में इनके लिए प्रोत्साहन और ऋण की आसान शर्तो की घोषणा की जा सकती है। 

Scroll to Top