sabrang_banglanews

“अब हर पाँच साल में सरकार बदल जाती है”– मोहन भागवत

हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंचालक मोहन भागवत ने अपने बयान से सबका ध्यान आकर्षित कर लिया है। टाइम्स ऑफ इंडिया के बंगाली समाचारपत्र इ-सोमोय की पिछले मंगलवार (16 अप्रैल) की सबसे बड़ी न्यूज़ रही। चुनावी गलियारों में भले ही इस बयान ने उथल पुथल मचा दी हो पर किस्सा अभी तक समाचारपत्रों तक ही सीमित है। 

डेटलाइन दिल्ली से छपी खबर के अनुसार मोहन भागवत ने कहा कि “पहले 30 या 50 साल बाद सरकार का बदलाव होता था। अब तो पाँच साल बाद ही सरकार बदलने की संभावना होती है इसलिए सरकार के ऊपर निर्भर होने की ज़रुरत नहीं है। एक सरकार जितने दिन चले उसे चलने दीजिए। लेकिन उसपर से निर्भरता घटा कर आत्म-निर्भर बनिये। चुनावी मौसम के बीच में स्वयंसेवक संघ के सरसंचालक का ऐसा बयान बीजेपी के लिए अटकलें पैदा कर सकता है।

सूत्रों के अनुसार इसी दौरान उद्योगपति रतन टाटा ने 17 अप्रैल को नागपुर का दो घंटो का दौरा किया और मोहन भागवत से मुलाकात भी की। यह मुलाकात संघ के मुख्यालय में तकरीबन दो घंटे चली। यह रतन टाटा की आरएसएस मुख्यालय में दूसरी भेंट थी।

रतन टाटा मंगलवार को नागपुर पहुँचे जहाँ आरएसएस के मुख्यालय में मोहन भगवत से मुलाकात कर बुधवार को वापस लौट गए। पिछले वर्ष रतन टाटा और मोहन भागवत ने आरएसएस लीडर स्वर्गीय नाना पालकर की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें सम्मानित करने हेतु एक साथ मंच साझा किया था। समारोह में रतन टाटा मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे।

समारोह में आरएसएस सरसंचालक ने रतन टाटा की तारीफ़ों के पुल बांधते हुए कहा था “सभी रतन टाटा को सुनना चाहते हैं पर मैं जब उनसे बोलने को कहता हूँ तो वो शरमा जाते हैं। सही है जो काम करते हैं वो बोलने से भले ही शर्माते हैं पर उनका काम बोलता है”। यह गुपचुप मुलाकात तब हुई जब भारत में लोकसभा 2019 की चुनावी दौड़ चल रही है और विभिन्न कारोबारी अलग-अलग राजनैतिक दलों व संस्थाओं को अपना समर्थन दे रहे हैं।

बीते गुरुवार, 18 अप्रैल को कांग्रेस के लीडर मिलिंद देवड़ा ने मुकेश अंबानी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया था। इस वीडियो में मुकेश अंबानी साउथ मुंबई की सांसद सीट के लिए मिलिंद को शिव सेना के अरविंद सावंत के खिलाफ अपना समर्थन दे रहें हैं।

वीडियो में मुकेश अंबानी ने कहा “10 साल से साउथ मुंबई का प्रतिनिधित्व कर रहे मिलिंद को सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पहलुओं की गहरी समझ है।

अब सभी की निगाहें 23 मई को आने वाले चुनाव के परिणामों पर टिकी हैं। लेकिन हाल ही में हुई इन घटनाओं ने राजनैतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इन सबका चुनावी नतीजों पर क्या असर रहेगा यह आने वाला समय ही बताएगा। साभार: सबरंग। 

Scroll to Top