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कई नेताओं, अफसरों के कुकर्म के राज दफन हो गए विकास दुबे के साथ

कानपुर: 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी एवं कुख्यात अपराधी विकास दुबे शुक्रवार को कथित मुठभेड़ में मार गिराया गया। कोर्ट में पेशी से पहले हुए विकास दुबे के एनकाउंटर से कई राज उसके साथ ही दफन हो गए। आरोप है  कि अगर विकास दुबे अपना मुंह खोलता तो इसमें कई नेताओं और अफसरों का पर्दाफाश हो जाता। इसी लिए उसका सोची समझी साजिश के तहत एनकाउंटर किया गया है। 

विकास दुबे भले ही कुछ खुलासा नहीं कर पाया लेकिन उसके शौक को लेकर खुलासे हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि गैंगस्टर विकास दुबे के जुर्म की दुनिया में कदम रखने का संबंध अभिनेता सनी देओल की 1999 में आई फिल्म ‘अर्जुन पंडित’ से भी है। फिल्म से प्रेरित होकर दुबे, विकास पंडित बन गया और राजनीतिक महकमों और पुलिसकर्मियों के बीच भी ‘पंडित’ के रूप में जाना जाने लगा। उसे जानने वाले स्थानीय पत्रकार ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि विकास को पंडित कहलाना बहुत पसंद था। 

बॉलीवुड थ्रिलर हालांकि कई मामलों में बहुत अलग है। फिल्म में अर्जुन (सनी देओल) एक ताकतवर व्यक्ति के हाथों की कठपुतली बन जाता है और खुद के द्वारा देखे गए एक अपराध के बारे में चुप रहता है। वह निशा नाम की लड़की के प्यार में पड़ता है और उससे धोखा खाने के बाद एक बेरहम गैंगस्टर बन जाता है। 

उसके तौर-तरीकों से वाकिफ कुछ स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि फरार चल रहे विकास दुबे ने इस फिल्म को सैकड़ों बार देखा था। यहां तक कि वह अपने शिकार लोगों के सामने भी खुद को केवल पंडित के रूप में पेश करता था। 

विकास दुबे थाने में या फिर किसी और से फोन पर बात करता था वह अपना परिचय ‘पंडित बोल रहा हूं’ के रूप में देता था। इतना कहने मात्र से पुलिसकर्मी और लोग समझ जाते थे कि किसका फोन है। 

हालांकि कानपुर टोल प्लाजा से 25 किलोमीटर पहले ही विकास दुबे का एक मुठभेड़ में एनकाउंटर कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश एसटीएफ की टीम विकास दुबे को लेकर कानपुर आ रही थी कि रास्ते में गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई और विकास दुबे ने भागने की कोशिश की। यहां पुलिस के साथ मुठभेड़ में वह मारा गया। कानपुर से शुरू हुई विकास दुबे के आतंक की कहानी कानपुर में ही खत्म हो गई। 

कई मीडिया रिपोर्टस में दावा किया गया है कि विकास दुबे को गिरफ्तार नहीं किया गया है बल्कि उसने सरेंडर किया है। अब एनकाउंटर पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो यहां तक कह दिया कि ‘ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है।’ बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी मामले की सीबीआई जांच की बात कही। कांग्रेस ने भी इनकाउंटर पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं। 

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