महिला वकीलों के एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट जाकर हाईकोर्ट में जजों के तौर पर महिलाओं की उचित भागीदारी की मांग रखी है। एक अंग्रेजी दैनिक के अनुसार महिला वकील संघ ने संवैधानिक अदालतों में महिलाओं की कम उपस्थिति का हवाला दिया। संघ की वकील स्नेहा कलीता के जरिये दायर याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के बीते 71 सालों के कामकाज में 247 जजों में से सिर्फ आठ महिलाएं थीं। मौजूदा समय में जस्टिस इंदिरा बनर्जी सुप्रीम कोर्ट में अकेली महिला जज हैं। पहली महिला जज फातिमा बीवी थी, जो 1987 में नियुक्त हुई थीं। संघ का कहना है कि हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में देरी होने के कारण स्वीकृत क्षमता से करीब आधी संख्या में जजों की नियुक्ति हो पाती है। अभी हाईकोर्ट में स्वीकृत जजों की संख्या 1080 है। मात्र 661 जजों की नियुक्ति हुई है जिसमें मात्र 73 महिलाएं हैं। संघ ने कहा कि अमेरिका में महिला राज्य जजों की संख्या 6,056 है जो कुल 17,778 जजों का 34 फीसदी है जबकि अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में 15 जजों में तीन महिलाएं थीं। याचिकाकर्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रही महिला वकीलों की प्रतिभाओं को पहचान करकेउन्हें हाईकोर्ट में जज पद पर उनका चुनाव करना चाहिए।
महिला वकीलों की मांग, हाईकोर्ट में महिला जजों की संख्या बढ़ाई जाए
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admin
/ April 8, 2021
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