नया संसद भवन/परिसर : ‘राजा’ की सनक का एक और उदहारण!
अमूमन हर राजा-बादशाह और शासक अपने कार्यकाल में कुछ ऐसा कर जाना चाहता था, जिस कारण इतिहास में उसे खास स्थान मिल जाये. वे इसके लिए खर्च की परवाह नहीं करते थे. उनको पूछना भी किससे था. सरकारी खजाना अपनी जागीर थी. दुनिया भर में शासकों की ऐसी महत्वाकांक्षा या सनक के कारण बनी शानदार दर्शनीय इमारतें आज भी मौजूद हैं. वैसे कुछ राजा जनोपयोगी निर्माण- बांध-सड़क आदि- पर भी खर्च करते थे.