Preparation forpossible genocide in India!

:: M Y Siddiqui ::

Other stages involve creating an “organization” to commit the genocide like the role of Indian army in Kashmir and the census takers in Assam”, sixth stage being “polarization” achieved by propaganda, the seventh stage “preparation” followed by “persecution” where Assam and Kashmir currently are, the ninth stage being “extermination”, and the tenth stage “denial”.

Internationally acclaimed expert Dr. Greggory Stanton has raised his concerns about possible mass extermination of Muslims while briefing the US Congress on situation in Kashmir and Assam. Dr. Stanton, founder of Genocide Watch, addressed an audience of Congressional and government officials at a briefing on Ground Reports on Kashmir and National Register of Citizens (NRC) in Washington D.C. on December 12, 2019, where he said, “Preparation for a genocide is definitely underway in India”.

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सीएए,  एनआरसी और उनका पाखंड!

Approved by Srinivas on Sat, 12/21/2019 - 20:37

:: श्रीनिवास ::

जब सिर्फ मुसलिमों को ही घुसपैठिया के रूप में चिह्नित किया जाना है, तो गैर मुसलिमों को एनआरसी की प्रक्रिया में झोंकने की जरूरत क्या है. सिर्फ मुसलमानों में से ही घुसपैठियों की पहचान करनी है, तो सरकार घोषणा कर दे कि सिर्फ मुसलिमों को ही एनआरसी की परीक्षा पास करनी है. यह आसान भी होगा. खर्च और समय भी कम लगेगा.

बहुतेरे 'समझदार', खांटी संघियों के अलावा भी, कह रहे हैं कि सीएए और एनआरसी में अंतर है. कि एनआरसी से मतभेद हो सकता है, सीएए में क्या गड़बड़ी है? कि सीएए से किसी भारतीय मुसलिम को कोई नुकसान नहीं होगा. यह तो सिर्फ शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए है. लेकिन वे सीएए और एनआरसी के बीच का स्पष्ट रिश्ता देख नहीं पा रहे या जानबूझ कर अनजान बन रहे हैं! गृहमंत्री अमित शाह ने साफ साफ कह दिया है कि पहले सीएए आयेगा, जिसके तहत शरणार्थियों को नागरिकता दी जायेगी, उसके बाद एनआरसी आयेगा, जिससे 'घुसपैठियों' की पहचान की जायेगी.

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नागरिकता संशोधन बिल संविधान का खुला उल्‍लंघन : काटजू

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

नागरिकता संशोधन बिल को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कण्डेय काटजू ने संविधान का उल्‍लंघन करनेवाला बताया है। ‘द वीक’ में छपे एक लेख में नागरिकता संशोधन बिल पर पूर्व जज काटजू ने अपने विचार रखें। उन्होंने लेख में कहा ‘भारत में रहने वाले नागरिकों और गैर-नागरिकों को वे समान अधिकार प्राप्त हैं जो आर्टिकल 14 और 21 में वर्णित हैं। यानि कि चाहे कोई नागरिक हो या न हो अगर वह भारत में रह रहे हैं तो उन्हें समानता का अधिकार प्राप्त है। 

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समाज के मरते जाने का सच..

:: कुमार प्रशांत ::

जिंदगी की कहानियां होती हैं, मौत की तारीखें ! 2008, 2012 अौर 2019 के साल हमारे राष्ट्रीय सामाजिक जीवन की मौत की तारीखें हैं। अादमी की मौत एक बार ही, पूरी-की-पूरी होती है लेकिन समाज धीरे-धीरे, तिल-तिल कर मरता है। हमारा समाज इसी तरह दम तोड़ रहा है। इन सालों में कौन मरा, कैसे मरा अौर किसने मारा जैसी कहानी पूछने अौर जानने का कोई प्रयोजन नहीं है; जानने अौर समझने की जरूरत है तो सिर्फ यह कि एक समाज के रूप में अौर एक अाधुनिक राष्ट्र के रूप में हमने सामूहिक मौत की तरफ एक अौर कदम बढ़ाया है।

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National Judicial DataGrid!

:: M Y Siddiqui ::

National Judicial Data Grid (NJDG), started as a part of the ongoing e-Courts Integrated Mission Mode Project, now covers all district and sub-divisional courts of India. It computerizes, records the judicial information and monitors the cases from the time the case is registered, till it is disposed of with judgement. It also groups similar law points, court rules, similar cases and related Acts.

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सुप्रीम कोर्ट का फैसला : जो हुआ, सो हुआ

Approved by Srinivas on Sat, 11/09/2019 - 23:29

:: श्रीनिवास ::

कोर्ट ने यह भी कहा कि 1949 में मूर्तियों को चुपके से मसजिद के अंदर रखना; फिर 1992 में मसजिद का ध्वंस गैरकानूनी था. क्या इसका अर्थ यह नहीं हुआ कि दोनों अवसरों पर वह मुसलिमों के अधिकार में एक धार्मिक इमारत, एक मसजिद थी? यानी 1528 ई से लेकर 1992 तक वह मसजिद थी.

कहा/माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ के सर्वसम्मत फैसले का एक आधार एएसआई की रिपोर्ट है, जो उसने विवादित स्थल की खुदाई के बाद पेश की थी. लेकिन फैसले की जितनी जानकारी सामने आयी है, और जो मैं समझ सका हूं, उसके मुताबिक कोर्ट ने इतना तो माना कि उस स्थान के नीचे किसी मंदिर के अवशेष मिले थे. यह भी कि बाबरी मसजिद का निर्माण किसी समतल जमीन पर नहीं हुआ था. मगर यह भी नहीं माना कि वह मसजिद किसी मंदिर को तोड़ कर बनायी गयी थी.
जमीन समतल नहीं होने का कारण वहां किसी पुरानी इमारत का खंडहर होना भी हो सकता है.

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Union Home Ministry drops data on communal violence in 2018-19

:: M.Y. Siddiqui ::

National Crime Records Bureau (NCRB), which is store house of all crimes that it collates from States and Union Territories, has, as instructed by the Government, introduced a chapter on violence by anti-nationals as part of NCRB’s latest data for the year 2017, already delayed by one year. NCRB, at the same time, has omitted data on mob lynching by influential people, killings by Khap Panchayat, murders committed for religious reasons, all of these in the name of rule of law based democratic governance, where the government of the day is accountable to the people for its omission and commission. It has also added data on cybercrimes and offences against state.

NDA Union Government has dropped data on communal violence in its Annual Report 2018-19 for the first time as part of its continuing tampering, manipulation and fudging of all sorts of official data, be it GDP related, unemployment related, inflation related and others claiming all were hunky dory in the country. This follows spike in communal riots by 28 per cent by the end of 2017 since 2014 when the BJP led NDA Union Government first assumed office.It has also withheld data on mob lynching and hate crimes.

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Combating cybercrimes against women and children

:: M.Y.Siddiqui ::

Cyber Crime Reporting Portal launched on 20th September 2018 to provide a centralized platform for citizens to report online content concerning child pornography, child sexual abuse material or sexually  explicit content like rape, gang rape or obscenity has begun generating interests among the people so much so that as on March 31, 2019, more than 14 lakh (1.4 million) persons have visited the portal, over ten thousand complaints filed, 33 FIRs lodged and 71 contents taken down through the intermediaries.

Union Ministry of Home Affairs (MHA) has set up Indian Cyber Crime Coordination Centre at an estimated cost of rupees 415.86 crore to be implemented by March 31, 2020, while Cyber Crime Prevention for Women and Children Scheme (CCPWC) formulated by the MHA is underway.  Whatever it be, fighting cybercrime against women and children may not be effective unless the servers for Internet service providers that are abroad, are stationed in the country.

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चंपारण का गांधी : गांधी का चंपारण

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

(एक पुनर्यात्रा) : 2019, अक्तूबर 2, रांची।गांधी अगर सशरीर जीवित होते, तो आज 150 साल के होते। लेकिन आज 79 वर्ष के पार्थिव गांधी को जानना जितना सरल है, उससे कई गुना मुश्किल है 150 साल के अशरीरी गांधी संबंधी जानकारियों तक पहुँचना या/और उन्हें यथातथ्य हासिल करना। उपलब्ध जानकारियों में से कुछ हासिल हो जाए, तो उसके सहारे गाँधी को ‘समझना’ ‘आसान’ है, लेकिन उससे हजार गुना कठिन हो गया है गांधी को ‘बरतना’ – व्यक्तिगत जीवन में भी और सार्वजानिक जीवन में भी।

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हम कहां-कहां से गुजर गये!

:: हेमन्‍त ::

[1] सितम्बर, 2015ए गोखले-गणित : बेतिया, पश्चिम चम्पारण। जेपी स्मृति कुटीर में 40-45 लड़कियों से भेंट हुई। 5 से 12-13 वर्ष की आयु की वे लड़कियां पश्चिम चंपारण के अलग-अलग गाँवों से वहां आयी हुई थीं - तीन महीने के ट्रेनिंग कैम्प में साथ रहकर पढ़ाई-लिखाई और जीवन की शिक्षा प्राप्त करने के लिए। संयोगवश पंकज जी ने मुझसे उन बच्चियों को संबोधित करने को कहा। मैंने ‘गोखले गणित’ कहानी सुनाई। और, तब एक अद्भुत घटना हुई! 

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