Ominous signs of India’s constitutional democracy

:: M.Y.Siddiqui ::

Outgoing year 2021 witnessed Prime Minister’s discerning political agenda perceiving selective human rights violation in certain incidents, while overlooking in certain others, CDS General Bipin Rawat’s (since killed in a recent chopper crash) shocking fillip to the growing menace of vigilantism endorsing the killing of persons believed to be terrorists by lynch mobs in Kashmir, National Security Advisor Ajit Doval’s exhortation to IPS probationers at their passing out parade at the Sardar Patel National Police Academy, Hyderabad  that “the new frontier of war is the civil society, which ca

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Railways under growing debt trap

:: M.Y.Siddiqui ::

Borrowings/loans mobilized by Ministry of Railways during the last over seven years is about Rs.700,000 crore. Of this, Rs.342,697 crore has been mobilized by IRFC, Rs.150,000 crore loans from LIC, Rs.100,000 crore from Japan for High Speed Mumbai-Ahmedabad Bullet train and the rest from the World Bank, Asian Development Bank, bilateral and multilateral agencies.

Indian Railways (IR) has been mobilizing resources from freight traffic, passenger services, sundry sources, market borrowings, budgetary and extra budgetary support from the General Exchequer for its expansion, up gradation and modernisation. Borrowing arm of IR in the Ministry of Railways is Indian Railways Finance Corporation (IRFC). In addition, Ministry of Railways also mobilises loans from the World Bank, Asian Development Bank, bilateral and multilateral funding agencies with the approval of Finance Ministry.

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एमएसपी कितना व्यावहारिक है?

:: जीतेश ::

तीनों कृषि कानून के रद्द होने का रास्ता अब चूंकि प्रधानमंत्री ने स्वयं निकाल दिया है.... तो एमएसपी (MSP) पर कानून भी स्वयं प्रधानमंत्री ही लायें- अब मामला यहीं अटका हुआ है और संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन से पीछे नहीं हट रहा है। चूंकि मामला खेती किसानी का है, इसलिए इससे संबंधित कोई भी आंदोलन एक सामाजिक- आर्थिक प्रभाव के साथ राजनीति पर कितना व्यापक असर करता है, इसकी समझ एक हठी व आत्ममुग्ध सत्तासीन व्यक्ति को भी है- इसे आंदोलनरत किसान अच्छी तरह समझ गए हैं।  लेकिन किसान को यह भी समझना होगा कि MSP से क्या हो सकता है? ईससे भी अहम है ये समझना कि MSP की व्यावहारिकता क्या है? 

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Gross abuse of dreaded anti-terror law must end

:: M Y Siddiqui ::

Implication of 102 persons under the dreaded anti-terror law in the recent communal riots in the BJP ruled Tripura state has put spotlight on the gross abuse of the UAPA (the Unlawful Activities Prevention Act, 1967) as amended to date to suppress voices of dissent or banner of alarms against the repression of innocents.

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कितना है बदनसीब 'ज़फर'

Approved by Srinivas on Sun, 11/07/2021 - 23:09

:: श्रीनिवास ::

आज (सात नवंबर) भारत के अंतिम मुगल सम्राट और देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायक बहादुर शाह जफर की पुण्यतिथि है। नमन! --- कहने को तो वह 1837 में बादशाह बनाए गए, लेकिन तब तक देश के काफी बड़े इलाके पर अंग्रेजों का कब्जा हो चुका था. 1857 में क्रांति की चिंगारी भड़की तो सभी विद्रोही सैनिकों और राजा-महाराजाओं ने उन्हें हिंदुस्तान का सम्राट माना और उन्होंने भी अंग्रेजों को खदेड़ने का आह्वान किया। लेकिन 82 बरस के बूढ़े बहादुर शाह जफर की अगुवाई में लड़ी गई यह लड़ाई कुछ ही दिन चली और अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

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Indian Railways on cost cutting spree

:: M.Y.Siddiqui ::

Ministry of Railways has begun implementing a report on right sizing the workings of Indian Railways by reorganizing its public sector undertakings (PSUs) including Special Purpose Vehicles (SPVs) through mergers of some units and closure of some others to avoid overlapping and to cut costs to effect economy of scale in rail services to the nation. The ongoing action is a sequel to a report by former Principal Economic Advisor Sanjeev Sanyal in the Ministry of Finance. Ministry of Railways has the largest number of PSUs and SPVs in the Union Government.

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झारखण्ड के आदिवासियों का समाजवादी जीवन-दर्शन

:: डॉ. रंजीत कुमार महली ::

सोवियत महल के विघटन के साथ ही समाजवाद का पतन शुरू हो गया और अब दुनिया के अधिकांश देशों से करीब-करीब विदा हो चुका है। संसदीय लोकतंत्र के आवरण में पूंजीवाद समस्त जगत में अपना पैंठ जमा चुका है। तथाकथित रूस और चीन जैसे साम्यवादी देशों से भी समाजवादी मूल्य गायब हो चुके हैं। मौजूदा समय में इन देशों में राज्य प्रायोजित पूंजीवादी व्यवस्था विद्यमान है। साम्यवाद के मुखौटे में ये दोनों देश भी पूंजीवादी ही हैं; मूल्य, विचार, दर्शन, उत्पादन-वितरण की प्रणाली का दूर-दूर तक समाजवाद-साम्यवाद से कोर्इ सरोकार नहीं है।

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Adverse effect of video games on children

:: M.Y.Siddiqui ::

India is home to 430 million (43 crore) mobile video gamers presently and the user base is estimated to go up to 650 million (65 crore) by 2025, a latest report by Internet and Mobile Association of India (IMA) has revealed. Coupled with this, according to official sources, children’s compulsive addiction to video games and the agony they are facing has emerged a worrying signs where children so addicted become more and more violent endangering future generations.

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मुहिम के तहत बदनाम किये गए सावरकर : संघ प्रमुख, भागवत

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार वीर सावरकर से जुड़ी कई बड़ी बातें कहीं। मोहन भागवत ने कहा कि भारत में आज के समय में सावरकर के बारे में वास्तव में सही जानकारी का अभाव है। यह एक समस्या है। मोहन भागवत ने कहा कि सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चलाई गई। इनकी बदनामी की मुहिम स्वतंत्रता के बाद खूब चली है।

वीर सावरकर पर लिखी गई पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए संघ प्रमुख ने यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर को लेकर आज के भारत में जानकारी का अभाव है। सावरकर के बारे में लिखी गईं तीन पुस्तकों के जरिए काफी जानकारी हासिल की जा सकती है।

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जेपी को अंतिम विदाई... [ पुण्यतिथि पर विशेष ]

Approved by Srinivas on Fri, 10/08/2021 - 09:55

:: श्रीनिवास ::

उस दिन- आठ अक्टूबर 1979-  मैं मुजफ्फरपुर में था. मेरा परिवार तब वहीं था. हम एक दिन पहले पहुंचे थे. संघर्ष वाहिनी की राष्ट्रीय परिषद में भाग लेने. कनक (लिखना पड़ रहा है, भारी मन से- जो अब नहीं हैं) और शायद अंजली जी भी साथ थीं. तब तक कनक से रिश्ता महज मित्रता का था. देश भर से साथी आ रहे थे. आ चुके थे. कुछ समारोह स्थल पर, कुछ स्थानीय मित्रों के घर रुके थे। सुबह तैयार होकर नाश्ता करते हुए आठ बजे आकाशवाणी पर वह समाचार- कि जेपी नहीं रहे- सुन कर हम स्तब्ध रह गये. परिवार के लोग भी. आपस में बिना कुछ बोले हम पटना लौटने की तैयारी करने लगे.

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