झारखंड में बहुचर्चित शराब घोटाले को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है।
मरांडी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार घोटाले की जांच को लेकर गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि एसीबी ने शुरुआत में तेजी दिखाई थी और एक बड़े अधिकारी को पूछताछ के बाद गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन अब जांच की रफ्तार पूरी तरह धीमी पड़ चुकी है। तीन महीने गुजर जाने के बाद भी चार्जशीट दाखिल नहीं हो सकी, जिससे जेल में बंद आरोपी एक-एक कर जमानत पा रहे हैं।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि एसीबी ने पूछताछ की पूरी रिकॉर्डिंग तक नहीं की। मरांडी का कहना है कि यह मनमाफिक बयान दर्ज करने और असली दोषियों को बचाने की साजिश का हिस्सा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इतना बड़ा घोटाला अधिकारियों की सहमति के बिना संभव नहीं है और मुख्यमंत्री की अनुमति के बिना ऐसी डील नहीं हो सकती।
भाजपा नेता ने दावा किया कि यह पूरा खेल छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट और दिल्ली तक फैले माफियाओं को बचाने के लिए रचा गया है। जानबूझकर चार्जशीट समय पर दाखिल नहीं की गई, ताकि आरोपी जमानत का लाभ उठा सकें। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ बड़े अधिकारियों ने मोटी रकम लेकर साजिश को अंजाम दिया है।
मरांडी ने पत्र में लिखा है कि मुख्यमंत्री खुद एसीबी के मंत्री भी हैं, इसलिए यह तर्क स्वीकार्य नहीं है कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं थी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो इसकी आंच देर-सबेर मुख्यमंत्री तक पहुंचेगी। उन्होंने मांग की है कि शराब घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए और उन सभी लोगों की पहचान कर कार्रवाई की जाए, जिन्होंने आरोपियों को जमानत दिलाने के लिए डील की।