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एक बार फिर बाबा का ‘टर्र-टर्र..’ 

सैंया भये कोतवाल..! पूरी तरह चरितार्थ कर रहे हैं रामदेव बाबा। अभी मेडिकल एलोपैथी साइंस पर उनका विवाद पूरी तरह थमा भी नहीं एक बार फिर रामदेव का ‘टर.. टर.. ‘ वाला बयान सामने आया है। इस बार उनके निशाने पर कोरोना वॉरियर डॉक्टर आए हैं। बाबा रामदेव ने तीन दिन पहले यह कह कर पूरे देश में बवाल खड़ा कर दिया कि एलोपैथी ‘मूर्खतापूर्ण विज्ञान’ है। यही नहीं बाबा रामदेव ने यहां तक कह डाला कि एलोपैथी दवाएं लेने के बाद लाखों की संख्या में मरीजों की मौत हुई है। हालांकि जब बवाल मचा और बात उन पर केस दर्ज करने तक पहुंच गई तो उन्होंने बयान वापस लेने का ढोंग किया। अब बाबा रामदेव ने डॉक्टरों का मजाक उड़ाया है।

योग गुरु बाबा रामदेव ने एक योग शिविर में एक युवक से हुई बातचीत का हवाला देते हुए डॉक्टर को ‘टर…टर…’ कहते हुए तंज कसते दिखाई दे रहे हैं। इसके अलावा वीडियो में वे दावा कर रहे हैं कि 1 हजार डॉक्टर कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बावजूद मर गए। वे कह रहे हैं कि बताइये वे डॉक्टर अपने आप को ही नहीं बचा पाए। डॉक्टर बनना है तो बाबा रामदेव जैसा बनो जिसके पास कोई डिग्री नहीं है और सबका डॉक्टर है। विदआउट एनी डिग्री और डिग्निटी आइ एम ए डॉक्टर!

डॉक्टरों पर गैर-जिम्मेदाराना बयान और उनका मजाक बनाकर एक बार फिर बाबा रामदेव ने आफत मोल ले ली है। पूरे मामले पर नाराजगी जताते हुए इंडियन मेडिकल असोसिएशन ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से स्वामी रामदेव पर कार्रवाई करने की मांग की है। 

लेकिन हालात बता रहे हैं कि रामदेव पर कोई कार्रवाई होने से रही। आखिर कौन करेगा कार्रवाई? वह मुख्‍यमंत्री जो स्‍वयं आये दिन अपने बयानों को लेकर विवादों में रहते हैं!

बाबा रामदेव ने ‘खेद’ व्‍यक्‍त किया स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री को लिखे पत्र में.. 

पतंजलि योगपीठ (ट्रस्ट) Patanjali Yogpeeth (Trust)
SEE 23-05-2021
B.ST/HO/2021/167
सेवा में,
माननीय श्री डॉक्टर हर्षवर्धन जी. स्वास्थ्य मंत्री, भारत सरकार।
सादर प्रणाम,
हम आधुनिक चिकित्सा विज्ञान तथा एलोपेथी के विरोधी नहीं है। हम यह मानते हैं कि जीवन रक्षा प्रणाली तधा शल्य चिकित्सा के विज्ञान में एलोपैथी ने बहुत प्रगति की है और मानवता की सेवा की है। मेरा जो वक्तव्य quote किया गया है, वह एक कार्यकर्ता बैठक का वक्तव्य है जिसमें मैंने आए हुए व्हाट्सएप मैसेज को पढ़कर सुनाया था, उससे अगर किसी की भावनाएं आहत हुई है, तो मुझे खेद है।
किसी भी चिकित्सापद्धति में होने वाली त्रुटियों का रेखांकन उस पद्धति पर आक्रमण के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए यह विज्ञान का विरोध तो कतई नहीं है। सभी को आत्म मूल्यांकन करते हए निरंतर प्रगतिशील रहना चाहिए। इसी प्रकार से कुछ एलोपेथिक डॉक्टर्स द्वारा भारतीय चिकित्सा विज्ञान, आयुर्वेद एवं योग को pseudo-science आदि कह कर उसका भी निरादर नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे भी करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत होती हैं। यदि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने चेचक, पोलियों एवं टीवी आदि गंभीर रोगों का उपचार खोजा है, तो योग, आयुर्वेद एवं नेचुरोपैथी आदि भारतीय चिकित्सा पद्धति द्वारा हमने बीपी, शुगर, थायराइड, अर्धराइटिस, फैटी लिवर, हेपेटाइटिस, अस्थमा जैसे जटिल एवं वंशानुगत रोगों का नियंत्रण एवं स्थाई समाधान दिया है। कोरोना काल में भी एलोपेथी के डॉक्टर्स ने अपनी जान जोखिम में डातकर करोड़ों लोगों की जान बचाई है, हम उसका सम्मान करते हैं। हमने भी आयुर्वेद एवं योग के प्रयोग से करोड़ों लोगों की जान बचाई है, इसका भी सम्मान होना चाहिए। और आगे भी कोरोना और कोरोना के कॉम्प्लिकेशंस से लड़ने के लिए तथा पूरी मानवता को रोग मुक्त करने के लिए सब पद्धतियों के समुचित समन्वय से मानवता की सेवा करने के हम पक्षधर हैं, और सदा रहेंगे।
आपका शुभचिंतक एवं समस्त मानवता का हितैषी,
……… …… 
स्वामी रामदेव

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