झारखंडी जन आंदोलन का तात्कालिक संभावित नीति-सूत्र : सालखन मुर्मू
झारखंड में राजनीतिक हलचल तेज है। झारखंड स्थापना से अब तक 22 वर्षों में अनेक बार सत्ता का परिवर्तन हुआ है, आगे भी होगा। परंतु क्या झारखंडी जन अर्थात आदिवासी- मूलवासी की जीवन में कोई परिवर्तन हो सका है? नहीं। उसका सपना "अबुआ दिसुम- अबुआ राज" के खिलाफ सब कुछ हो रहा है। तब क्या झारखंडी जन पार्टियों / नेताओं को कोसने के बदले निम्न नीति- सूत्र पर चिंतन मंथन कर एक नया झारखंड, अपने सपनों के झारखंड को सच बनाने के सार्थक पहल में भागीदारी निभा सकेगा ?