दिल्ली में क्यों हारी आप?

राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव का मानना है कि आम आदमी पार्टी की यह सिर्फ एक चुनावी हार नहीं, बल्कि व्यापक राजनीतिक संदेश भी है. उन्होंने इस स्थिति को तीन बिंदुओं में समेटा- धक्का, सबक और संभावना.

  1. धक्का: सिर्फ AAP के लिए नहीं, पूरे विपक्ष के लिए
    योगेंद्र यादव के अनुसार, यह हार सिर्फ AAP के लिए नहीं, बल्कि उन सभी लोगों के लिए एक झटका है जो भारतीय राजनीति में वैकल्पिक राजनीति की उम्मीद रखते थे. आम आदमी पार्टी कह सकती है कि उसने दस साल बाद चुनाव गंवाया और वोट शेयर में सिर्फ 5% का अंतर था, लेकिन जब पार्टी के शीर्ष नेता ही अपनी सीटें हार जाएं, तो यह सिर्फ एक सामान्य हार नहीं होती, बल्कि एक बड़ी चेतावनी होती है.

उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी अब AAP को हराकर संतुष्ट नहीं होगी, बल्कि इसे तोड़ने की कोशिश करेगी. ऐसे में पार्टी का अस्तित्व उसके कार्यकर्ताओं की प्रतिबद्धता, उसके आदर्शों और सिद्धांतों पर निर्भर करेगा. लेकिन जब नैतिकता और आदर्श पहले ही छोड़े जा चुके हों, तो पार्टी को बचाना मुश्किल हो जाता है.

  1. सबक: सिर्फ कल्याणकारी योजनाएं काफी नहीं
    योगेंद्र यादव के मुताबिक, यह हार यह बताती है कि सिर्फ मुफ्त योजनाओं (रेवड़ी संस्कृति) के भरोसे चुनाव नहीं जीते जा सकते. अगर आज भी AAP को 42-43% वोट मिले हैं, तो यह इन्हीं योजनाओं के कारण है. लेकिन जनता को सिर्फ मुफ्त सुविधाएं ही नहीं, बल्कि सुशासन (गवर्नेंस), अच्छी सड़कें और साफ-सुथरी दिल्ली भी चाहिए. उन्होंने कहा कि अब MCD पर भी AAP का नियंत्रण है, ऐसे में दिल्ली की सफाई और इंफ्रास्ट्रक्चर पर जनता की उम्मीदें और बढ़ गई थीं. जब सरकार इन जरूरतों को पूरा नहीं कर पाई, तो जनता ने नकार दिया.

इसके अलावा, यादव ने कहा कि बीजेपी का मुकाबला बीजेपी की भाषा में नहीं किया जा सकता। AAP ने खुद को बीजेपी से बड़ा हिंदू साबित करने की कोशिश की, लेकिन जनता को यह स्वीकार्य नहीं हुआ. दंगों, बुलडोजर राजनीति और अन्य संवेदनशील मुद्दों पर चुप्पी साधकर AAP ने गलती की. अगर विपक्ष को बीजेपी से लड़ना है, तो उसे खुलकर लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए खड़ा होना होगा.

  1. संभावना: क्या विपक्ष नया रास्ता ढूंढेगा?
    योगेंद्र यादव के अनुसार, इस हार का मतलब AAP का अंत नहीं है, बल्कि पूरे विपक्ष के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है. उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) महाराष्ट्र चुनाव के बाद से ही कमजोर पड़ा है. इस हार के बाद विपक्ष को आत्ममंथन करना चाहिए और बीजेपी का मुकाबला करने के लिए एक स्पष्ट रणनीति बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि चुनाव से 6 हफ्ते पहले तैयार होने से बीजेपी को हराया नहीं जा सकता. इसके लिए विपक्ष को पूरे 5 साल जनता के बीच रहना होगा और सिर्फ आलोचना करने के बजाय एक मजबूत विकल्प पेश करना होगा.

निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक दोपहर एक बजे तक आए रुझानों में भाजपा दिल्ली की 70 में से 48 सीट पर निर्णायक बहुमत की ओर बढ़ती दिख रही है जबकि आप 22 सीट पर सिमटने के कगार पर है. एक बार फिर कांग्रेस राष्ट्रीय राजधानी में अपना खाता नहीं खोलती दिख रही है.

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