क्या देश के शीर्ष शहरी क्षेत्रों में वाणिज्यिक जगह की जरूरत 11 प्रतिशत बढ़ गई है?

नई दिल्ली: भारत के बड़े शहरों में ऑफिस स्पेस की मांग लगातार बढ़ रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पाँच साल में देश के आठ बड़े शहरों में दफ्तरों की माँग हर साल औसतन 11% की रफ्तार से बढ़ी है।

निवेश सलाहकार कंपनी एनक्वाइरस कैपिटल की रिपोर्ट बताती है कि बेंगलुरु दुनियाभर की कंपनियों के लिए एक किफायती और बेहतर काम करने वाला शहर बन गया है। यहाँ ऑफिस चलाने की लागत अमेरिका के छोटे शहरों की तुलना में करीब 81% कम होती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अब ऑफिस के लिए दुनिया का पसंदीदा ठिकाना बन रहा है, क्योंकि यहाँ जगह मिलना आसान है, खर्च कम है और कुशल कर्मचारी बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं।

आँकड़ों के हिसाब से, 2020 में भारत के 8 प्रमुख शहरों में ऑफिस स्पेस की मांग करीब 39.3 मिलियन वर्ग फुट थी, जो 2025 तक बढ़कर 66.4 मिलियन वर्ग फुट तक पहुँचने का अनुमान है।

दुनिया के कई बड़े शहरों की तुलना भी रिपोर्ट में की गई है। 2016 से 2024 के बीच कंपनियों ने:

  • न्यूयॉर्क में करीब 5.4 मिलियन वर्ग फुट ऑफिस स्पेस छोड़ा,
  • लंदन में लगभग 3 मिलियन वर्ग फुट कम हुआ,
  • जबकि मुंबई और बेंगलुरु में तेजी से नई ऑफिस जगहें खरीदी गईं।
    इस दौरान बेंगलुरु ने 75.2 मिलियन वर्ग फुट, और मुंबई ने 39.6 मिलियन वर्ग फुट ऑफिस स्पेस हासिल किया।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 की तीसरी तिमाही तक ऑफिस स्पेस की मांग में मुंबई और बेंगलुरु दुनिया के सबसे आगे रहे शहरों में शामिल हो चुके हैं।

किराये की तुलना भी की गई। सबसे महंगा ऑफिस किराया लंदन में है – करीब 207 डॉलर प्रति वर्ग फुट प्रति साल। न्यूयॉर्क (82 डॉलर), टोक्यो (76 डॉलर) और बीजिंग (56 डॉलर) इससे सस्ते हैं।
वहीं भारत के मुंबई और बेंगलुरु में ऑफिस किराया सबसे किफायती साबित हुआ है, जहाँ यह सिर्फ 27 डॉलर प्रति वर्ग फुट प्रति साल है।

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