लद्दाख प्रशासन का दावा- सोनम वांगचुक की हिरासत पूरी तरह वैध, संवैधानिक

लद्दाख प्रशासन ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के इस्तेमाल का बचाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि यह कार्रवाई पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया के अनुसार और संवैधानिक प्रावधानों का पालन करते हुए की गई है।

लेह के जिला मजिस्ट्रेट (DM) द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया कि वांगचुक की गतिविधियाँ राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक पाई गईं, जिसके आधार पर 26 सितंबर को NSA के तहत उन्हें हिरासत में लिया गया। मजिस्ट्रेट ने बताया कि हिरासत आदेश पूरी “संतुष्टि” के साथ पारित किया गया था और वांगचुक को इसकी सूचना स्पष्ट रूप से दी गई, साथ ही उनकी पत्नी गीतेनजली अंगमो को भी फोन के ज़रिए जानकारी दी गई थी।

लद्दाख प्रशासन का दावा है कि सोनम वांगचुक की हिरासत पूरी तरह वैध, संवैधानिक और उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए की गई है, जबकि उनकी पत्नी की ओर से दाखिल याचिका में इसे ग़ैरकानूनी और मनमाना बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट में इस पर अब बुधवार को सुनवाई होगी।

हलफनामे में कहा गया कि वांगचुक को पाँच दिनों के भीतर हिरासत के कारणों और संबंधित दस्तावेजों की जानकारी दी गई, जैसा कि NSA की धारा 8 और संविधान के अनुच्छेद 22 में निर्धारित है। प्रशासन ने यह भी बताया कि हिरासत आदेश सलाहकार बोर्ड (Advisory Board) को भेजा गया है और सभी प्रक्रिया का पालन किया गया।

इसके अलावा, प्रशासन ने कहा कि वांगचुक ने अब तक कानूनी रूप से निर्धारित प्रतिनिधित्व (representation) नहीं किया है। हालांकि, उनकी पत्नी ने राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा है, जिसकी प्रति लद्दाख प्रशासन को मिली और उसे भी सलाहकार बोर्ड के समक्ष रखा गया है। बोर्ड ने वांगचुक को एक सप्ताह में अपनी ओर से जवाब देने का अवसर दिया है (10 अक्टूबर 2025 से)।

मामले की सुनवाई मंगलवार को नहीं हो सकी क्योंकि वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जो वांगचुक की ओर से पेश हो रहे हैं, अन्य अदालत में व्यस्त थे। अब सुनवाई बुधवार को होगी।

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