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लाल आतंक के खिलाफ कमर कसती झारखंड पुलिस

गिरिडीह: झारखंड में लाल आंतक के सफाये के लिए प्रशासनिक अभियान पूरे यौवन पर है। एक और जहां पुलिस  को लगातार  छोटे बड़े ईनामी नक्सलियों को गिरफतार करने में सफलता मिल रही है  वहीं नक्सलियोँ के  वितीय कंमाडरों की  संपति भी कूर्क करने  की कार्रवाई की जा रही है।

हाल ही में नक्सल प्रभावित  गिरिडीह जिले में भाकपा माओवादियों के कथित वितीय कंमाडर  मनोज चौघरी और झरी महतो की  करोडों  की अचल संपति जब्त की गयी है। इस क्रम विगत बीस अक्तूबर को पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने पीरटाड़ के पत्थर व्यवसायी  मनोज चौघरी के  ग्यारह प्लोटों को सील किया। जिसमे पॉच प्लोट र्गिरड़ीह शहरी क्षेत्र के पोश और कर्मिशियल इलाके में स्थित है जबकि शेष  मधुबन थाना क्षेत्र में  है। जबकि इससे पहले  डुमरी और पीरटाड़ में में नक्सली झरी महतो  के  16 प्लोटों को  सील करने की कार्रवाई की गयी।जानकारो के मुताविक  जब्त नक्सलियों की संपति का बाजार मुल्य दस करोड़ से अधिक का आकलन हैा सरकारी सूत्र बताते है कि  विगत जनवरी महीने में  राज्य सरकार ने एक रिपौट जिला पुलिस को भेजी थी जिसमे कहा गया थाकि  पीरटाड़ के मनोज चौघरी और निमियाघाट के झरीलाल महतो  समेत अन्य कई लोगों ने लेवी की राशि का निवेश वाजार में किया है।  इसके बाद जिला स्तर पर जॉच की गयी। सूत्रो के मुताविक जॉच में खुलासा हुआ कि  दोनो नक्सलियो ने लेवी की राशि से अपने सगे सवंधियो. के नाम जमिन और मकान क्रय किये गये हैा बताते है कि पुलिस ने सभी संपतिर्या को र्चिन्हत किया फिर जब्त करने की कार्रवाई की गयी। जॉच में यह भी खुलासा हुआ कि लेवी की राशि से अर्जित किये गये ठिकानों को माओवादी  ठहरने और पुलिस से बचने के लिए छिपने छीपाने और नक्सली वारदातों की योजना बनाने के लीये बैठके करने के काम मे लेते थे। 

उल्लेखनीय है कि  झारखंड का गिरिडीह इलाका भाकपा माओवादियों के सक्रिय जिलों में शुमार रहा हैा  भेलवाघाटी और चिलखारी नरसंघार का गवाह रहा गिरिडीह जिले का पारसनाथ का इलाका वहा की भोगोलिक  स्थिति के कारण  माओवादियों का सबसे सुरक्षित क्षेत्र माना जाता रहा है । लेकिन रघुवर दास सरकार  द्वारा  झारखंड को नक्सल मुक्त कराने की दिशा में किजारही कार्रवाई से  इलाके के चरमपंथी कराह रहे हैा सरकार की सरेण्डर नीति नई दिशा के भी साकारातक परिणाम सामने आरहे है।

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