‘देवियों और सज्जनों, नमस्कार.. आदाब… आपका राष्ट्र ऋषि सुमन फिर से एक बार ‘कौन बनेगा राष्ट्रवादी’ में आपका स्वागत करता है.. अभिनंदन करता है.’ तालियों की गड़गड़ाहट से स्टूडियो गूंज उठता है. स्टूडियो परिसर के अंदर चारों ओर चक्कर काटती रंग बिरंगी रोशनी के साथ बैकग्राउंड से पेट्रियोटिक धुन भी गूंजने लगती है. रंग बिरंगी रोशनियिं कभी राष्ट्रीय ध्वज का आकार लेती है, तो कभी भारत माता की.
‘..मेरे सामने हॉट सीट पर विराजमान हैं रोल ओवर कंटेस्टेंट हिंद कुमार जी, जो अब तक 14वें प्रश्न का उत्तर देकर खेल का दूसरा पड़ाव पार कर चुके हैं. इनके साथ आई हैं इनकी पत्नी वंदे देवी और जोड़ीदार के रूप में पिता श्री सुदेश कुमार. बहुत-बहुत स्वागत है आप दोनों का.’ बैकग्राउंड संगीत के साथ फिर तालियां बजती हैं.
‘हिंद कुमार जी, कंप्यूटर की स्क्रीन पर जो अगला प्रश्न आएगा, उसका मूल्य है एक करोड़ रुपए. खूब ध्यान से खेलियेगा. आप तैयार हैं?’
-‘जी सर’
– ‘लेटेस प्ले कौन बनेगा राष्ट्रवादी, पावर्ड बाई नकुल दूध. नकुल दूध पीता है इंडिया.’
पार्श्व संगीत के साथ तालियों की गड़गड़ाहट और तेज हो जाती है.
– हिंद कुमार जी ये रहा अगला प्रश्न आपकी स्क्रीन पर..’
कम्यूटर की स्क्रीन पर विशेष धुन के साथ धुन के साथ उभर आए प्रश्न को होस्ट का किरदार निभा रहा राष्ट्र ऋषि सुमन अगर ऊंची आवाज में पढ़ कर सुनाता है, ‘अगर कोई व्यक्ति राष्ट्र की शासन प्रणाली अर्थात सिस्टम की खामियों को उजागर कर उसकी आलोचना करता है, तो उसे क्या कहा जाएगा? ऑप्शन हैं- (ए) राष्ट्रविरोधी (बी) राष्ट्र निंदक (सी) राष्ट्रचिंतक (डी) आलोचक.’
हिंद कुमार अब तक के अर्जित अपने ‘राष्ट्र ज्ञान’ के पलड़े पर चारों ऑप्शन को एक-एक कर तोलता है. अब तक के सारे सवालों के सही सही जवाब देकर वह स्वयं के राष्ट्र ज्ञानी होने का प्रमाण दे चुका है. अगर वह इस प्रश्न का सही उत्तर देता है, तो ‘राष्ट्रवादी’ कहलाने से उसे कोई रोक नहीं सकता.
‘ क्या चल रहा है आपके मन में?’ होस्ट राष्ट्र ऋषि सुमन की भारी भरकम आवाज गूंजती है, ‘देखिए हिंद कुमार जी, आपकी चारों लाइफ लाइन चली गयी हैं. अब अनुमान से काम नहीं चलेगा. अगर उत्तर गलत हो गया, तो इस महान उपाधि और एक करोड़ की धनराशि से हाथ धो बैठियेगा.?
दर्शक दीर्घा में खामोशी छाई हुई है. दिल की धड़कनों और सांसों को बेकाबू करने वाला पार्श्व संगीत और तेज हो गया.
हिंद कुमार ने जुबान खोली- ‘सर, ‘ए’ राष्ट्र विरोधी.’
‘आप श्योर हैं?
‘जी सर.?
‘क्या करना चाहिए?
‘सर लॉक कर दीजिए.’
‘कंप्यूटर महोदय ऑप्शन ‘ए’ राष्ट्रविरोधी’ पर ताला लगाया जाए.’
ऑप्शन लॉक होने के बाद होस्ट ने हिंद कुमार को भरपूर नजरों से देखा. फिर दर्शकदीर्घा की ओर नजरें घुमायीं. कुछ देर खामोश रहने के बाद लगभग चीखते हुए खड़े हो गये ;’राइट आंसर,.. राइट आंसर…आप जीत गये एक करोड़…आप बन गए राष्ट्रवादी.. वेल प्लेड. तालियां… तालियां बजा कर बधाई दें ऑडिएंस.’
लेकिन दर्शक दीर्घा में कोई हलचल नहीं हुई. वहां सवालिया सन्नाटा पसरा हुआ था. स्टूडियो में केवल होस्ट की तालियां गूंजती रहीं.
लेखक : मार्टिन जॉन
साभार : ‘कथादेश’ (अगस्त)