महाराष्ट्र के बाद अब बिहार की बारी थी जहां कांग्रेस ने लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर अपने प्रमुख सहयोगी दलों के साथ समझौता किया है। पार्टियों में यह सहमति बनी है कि लोकसभा की 40 सीटें भाजपा-जद (यू)-लोजपा गठबंधन को पराजित करने के एकमात्र मकसद के साथ घटक दलों में बांटी जाएंगी।
दिल्ली, पटना और रांची में पार्टी के नेताओं के बीच कई बार हुई वार्ता के बाद समझौते को अंतिम रूप दिया गया। रांची जेल में राजद प्रमुख लालू प्रसाद बंद हैं। ऐसी चर्चा है कि कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने बिहार में विपक्षी दलों में एकता लाने में अहम भूमिका निभाई है। वही उपेन्द्र कुशवाहा को विपक्षी खेमे में लाए और मोदी सरकार से इस्तीफा देने के लिए उनको राजी किया।
यह अखिलेश ही हैं जिन्होंने कुशवाहा को वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अहमद पटेल से मुलाकात कराने के बाद राहुल गांधी से मिलवाया था। उन्होंने रांची जेल में लालू के साथ उनकी बैठक का भी प्रबंध किया था। सूत्रों का कहना है कि कुशवाहा के साथ इस बात को लेकर समझौता हुआ है कि उन्हें 6 लोकसभा सीटें दी जाएंगी। एन.डी.ए. में उन्हें 5 सीटें मिली थीं और केवल 3 में वह जीत हासिल कर सके थे। वह 6 सीटें चाहते थे और लालू ने उनकी इस मांग पर सहमति जताई। कांग्रेस 12 सीटों पर चुनाव लडऩा चाहती है मगर मौजूदा समय में उसे 11 सीटें दी गई हैं। समझौते के अनुसार राजद 19 सीटों, कांग्रेस 11 सीटों, उपेन्द्र कुशवाहा की आर.एल.एस.पी. 6 सीटों,जीतन राम मांझी की ‘हम’ 2 और शरद यादव 1 सीट पर चुनाव लड़ेंगे। 40वीं सीट मुकेश साहनी को मिल सकती है जिन्होंने गठबंधन का हाथ थामा है।
इस बात पर भी सहमति जताई गई है कि अगर कोई प्रमुख नेता जद (यू) या भाजपा को छोड़ देता है तो उसको कांग्रेस या राजद द्वारा सीट दी जाएगी। जब तेजस्वी यादव ने लखनऊ की यात्रा की थी तो समझा जाता है कि उन्होंने बसपा प्रमुख मायावती को भी 2-3 सीटों की पेशकश की थी। राजद नेता चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ समस्या होने के बावजूद बसपा बिहार में गठबंधन का एक हिस्सा हो। अगर भाजपा के असंतुष्ट नेता कीर्ति आजाद (दरभंगा) और शत्रुघ्न सिन्हा (पटना) भाजपा को छोड़ देते हैं तो उन्हें उनकी पसंद की सीटों पर खपाया जाएगा।
आजाद कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे मगर सिन्हा की भाजपा को छोडऩे के बाद अलग ही योजना हो सकती है। शत्रुघ्न सिन्हा की सेवाएं गठबंधन के घटक दलों द्वारा बिहार और अन्य स्थानों पर मुख्य प्रचारक के रूप में ली जा सकती हैं।शत्रुघ्न सिन्हा बिहार की बजाय दिल्ली से चुनाव लड़ सकते हैं। बिहार के गांधी मैदान में विपक्षी पार्टियों की 3 फरवरी को होने वाली रैली से पूर्व इन मामलों को सुलझा लिया जाएगा। रैली को राहुल गांधी संबोधित करेंगे और यह विपक्ष का पहला बड़ा शक्ति प्रदर्शन होगा। साभार: पंजाब केसरी