नई दिल्ली: प्रियंका गांधी के आधिकारिक रूप से सक्रिय राजनीति में पदार्पण के बाद भले ही एक बार फिर राजनीतिक वंशवाद पर बहस तेज हो जाए, लेकिन अक्सर कांग्रेस के प्रथम परिवार पर देश पर परिवार की राजनीति का दोषारोपण करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को भी यह आइना दिखा सकती है। राजनीति के अखाड़े में उतरने वाली गांधी परिवार की नई सदस्य प्रियंका गांधी के पास पांच पीढ़ियों की विरासत है। शायद वामपंथी दलों के सिवा कोई अन्य राजनीतिक दल वंशवाद से अछूता होने का दावा नहीं कर सकता है।
साधारण पृष्ठभूमि के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी चाय विक्रेता की छवि का पिछले चुनावों में जादुई असर दिखा चुके हैं और वह अक्सर राजनीतिक वंशवाद पर तंज कसते रहे हैं, लेकिन वह इससे छुटकारा पाने में सक्षम नहीं हो पाए हैं क्योंकि उनकी अपनी ही पार्टी में कई ऐसे नेता हैं जिनके पास राजनीतिक पैतृक विरासत है।
मौजूदा लोकसभा पर ही एक नजर डालें तो कई राजनेता ऐसे दिख जाते हैं जिनकी अपनी राजनीतिक विरासत है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दूसरी पीढ़ी के नेताओं में शामिल नवनियुक्त अंतरिम वित्तमंत्री पीयूष गोयल भाजपा के दिवंगत कोषाध्यक्ष वेद प्रकाश गोयल के पुत्र हैं। भाजपा के कई युवा सांसदों ने अपने पिता की विरासत संभाली है।
हिमाचल प्रदेश से आने वाले अनुराग ठाकुर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के पुत्र हैं। उत्तर मध्य मुंबई से सांसद पूनम महाजन ने अपने दिवंगत पिता प्रमोद महाजन की विरासत संभाली है। प्रमोद महाजन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कद्दावर मंत्रियों में शुमार थे। दिवंगत गोपीनाथ मुंडे की पुत्री पंकजा मुंडे भाजपा सरकार में मंत्री हैं।
केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और उनके पुत्र वरुण गांधी भी गांधी परिवार से ही आते हैं, हालांकि वे संसद में भाजपा के झंडाबरदार हैं। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू अरुणाचल प्रदेश के पहले प्रोटेम स्पीकर रिनचिन खारु के पुत्र हैं।
उत्तर प्रदेश में गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह नोएडा से विधायक हैं। सांसद लालजी टंड के पुत्र आशुतोष लखनऊ पूर्व से विधायक हैं।
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा खुद भाजपा की संस्थापकों में शामिल विजयराजे सिंधिया की पुत्री हैं और उनका पुत्र दुष्यंत लोकसभा सदस्य हैं। उनकी बहन यशोधरा राजे मध्यप्रदेश सरकार की पूर्व मंत्री और वर्तमान में प्रदेश में विधायक हैं।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के पुत्र परवेश सिंह वर्मा दिल्ली के एक संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं। दिल्ली के पूर्व विधानसभाध्यक्ष चरती लाल गोयल के पुत्र विजय गोयल केंद्रीय मंत्री हैं।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येद्दियुप्पा विधायक हैं और उनके पुत्र बी.वाई.राघवेंद्र हाल ही में शिमोगा लोकसभा सीट से चुने गए हैं।
हजारीबाग से सांसद जयंत सिन्हा भाजपा के दिग्गज नेता यशवंत सिन्हा के पुत्र हैं। यशवंत सिन्हा ने पिछले साल भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया।
एटा से सांसद रणवीर सिंह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के पुत्र हैं।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे देबेंद्र प्रधान के पुत्र हैं।
गांधी परिवार की छत्रछाया में कांग्रेस में कई परिवार हैं जिनकी अगली पीढ़ी के नेताओं ने राजनीतिक विरासत संभाली है।
मध्यप्रदेश से आने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया दिवंगत कांग्रेस नेता माधव राव सिंधिया के पुत्र हैं। कांग्रेस पार्टी नेता सचिन पायलट दिवंगत नेता राजेश पायलट के पुत्र हैं और सुष्मिता देव दिवंगत संतोष मोहन देव की पुत्री हैं।
दो प्रमुख राजनीतिक दलों के इतर, अधिकांश क्षत्रपों में राजनीतिक वंशावली की परंपरा है।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का नियंत्रण मुलायम सिंह यादव का कुनबा करता है। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (बादल) के कर्ताधर्ता बादल परिवार के सदस्य हैं तो महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार इसके पर्याय हैं।
जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला परिवार नेशनल कान्फ्रेंस की अगुवाई करता है, जबकि पीडीपी की जिम्मेदारी मुफ्ती परिवार के हाथों में है। तमिलनाडु में दिवंगत करुणानिधि के पुत्र एम.के. स्टालिन द्रमुक की अगुवाई करते हैं तो ओडिशा में राजनीति के महान शख्सियत बीजू पटनायक के पुत्र नवीन पटनायक मुख्यमंत्री हैं।
इस प्रकार कुनबे की संस्कृति पूरे देश की राजनीति के पटल पर देखने को मिलती है।