नई दिल्ली: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर 45 साल में सर्वाधिक थी, हालांकि यह रिपोर्ट प्रकाशित नहीं हुई और राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के दो सदस्यों ने इसके विरोध में मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। सरकार ने रिपोर्ट जारी करने से रोक ली है, मगर दैनिक अखबार ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ को यह रिपोर्ट मिली है, जिसके अनुसार, 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी थी, जोकि 1972-73 के बाद सर्वाधिक है।
एनएससी के कार्यवाहक प्रमुख पी. सी. मोहनन और उनकी सहकर्मी जे. मीनाक्षी आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पिछले साल दिसंबर में बेरोजगारी के आंकड़ों के प्रकाशित नहीं होने से दुखी थे।
रोजगार के आवधिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के नतीजे इसलिए महत्व रखती है क्योंकि माना जाता है कि आठ नवंबर 2016 को नोटबंदी के फैसले लिए जाने के बाद यह रोजगार को लेकर किया गया पहला व्यापक सर्वेक्षण है।
एनएसएस की रिपोर्ट के अनुसार, शहरी इलाकों में बेरोजगारी की दर 7.8 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र में 5.3 फीसदी थी। साथ ही, अधिक लोगों को कार्यबल से निकाला गया क्योंकि पिछले कुछ सालों की तुलना में श्रम शक्ति की भागीदारी निम्न स्तर पर थी।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्षो की तुलना में 2017-18 में युवाओं की बेरोजगारी कुल आबादी के मुकाबले काफी ऊंचे स्तर पर थी
इस्तीफे की खबर मीडिया में आने के बाद सरकार ने बुधवार को कहा कि एनएससी के दो सदस्यों ने पिछले कुछ महीनों से आयोग की बैठकों में अपनी किसी प्रकार की चिंता जाहिर नहीं की थी।
सांख्यिकी व कार्यक्रम अनुपालन मंत्रालय ने कहा कि वह न सिर्फ आयोग का काफी आदर करता है, बल्कि उसकी सलाह भी उसके लिए महत्व रखती है, जिसके अनुसार, उचित कदम उठाए जाते हैं।