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दहेज प्रताड़ना की आरोपी को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने सौंपा है अपनी शीर्ष संस्था का शीर्ष पद

रांची: भारत का सांस्कृतिक मंत्रालय जिसके जिम्मे देश की संस्कृति के संरक्षण की जिम्मेवारी है उसी मंत्रालय की प्रमुख संस्था है ‘द सेंटर फॉर कल्चरल रिसोर्सेज एंड ट्रेनिंग’ (सीसीआरटी)। इस संस्था और इसके अध्यक्ष पद की प्रतिष्ठा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व गर्वनर और दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर जगमोहन जैसे जाने माने शख्सियत इसके अध्यक्ष पद के लिए चुने जा चुके हैं। लेकिन अब इस पद पर जो महिला बैठायी गई हैं वह ‘दजेह प्रताड़ना’ कांड में जमानत पर रिहा है। बाजाप्ता उसके खिलाफ दहेज निरोधक अधिनियम ¾ की धारा 498 A (भा द वि) के तहत अंतिम चार्जशीट दाखिल किया जा चुका है।

यही नहीं, सीसीआरटी की वर्तमान आरोपी अध्यक्ष झारखंड प्रदेश महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर 2010 से 2013 तक विराजमान रही हैं। अभी वह दिल्ली पब्लिक स्कूल बोकारो की निदेशक और प्रिंसिपल हैं। जी हां, अब शायद आप समझ रहे होंगे.. बात हो रही है आजसू पार्टी की सदस्य रही बहुचर्चित डॉ हेमलता एस मोहन की। इनकी ख्याति यहीं तक नहीं, हेमलता को राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। इनकी पहुंच का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यह 2014 से 2016 तक न्यायिक गतिविधियों से जुड़ी संस्था ‘झालसा’ की गवर्निंग बॉडी में सदस्य भी रही हैं। इनके ‘सम्मान’ और अवार्डों की फेहरिस्त अभी और भी लंबी है, लेकिन क्या व्यावहारिक वास्ताविक जीवन में भी डॉ हेमलता ऐसी ही हैं? शायद नहींं, पटना पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट इनकी पोल खोलती दिखाई देती है। (इस रिपोर्ट के साथ चार्जशीट का फोटो कॉपी देखिये।)

चार्जशीट पेज 1

चार्जशीट पेज 2

साइट पर परिचय

दरअसल पूरा मामला कुछ इस प्रकार है। बिहार-झारखंड में अपनी ईमानदारी के लिए विख्यात अनुशासनप्रिय सेवानिवृत आइपीएस अधिकारी डॉ डी एन गौतम की पुत्री के साथ डॉ हेमलता के पुत्र की शादी हुई थी। जाहिर है, हेमलता की ‘ख्याति’ ने डॉ गौतम को भी भरोसा दिया होगा! लेकिन, चंद वर्षों में ही हेमलता-परिवार के अंदरूनी भेद खुलने लगे। प्रताड़ना बर्दास्त से बाहर हो गई तो हेमलता की बहु और डॉ गौतम की पुत्री ने ससुराल वालों के जुल्म के बारे में सबकुछ अपने माता पिता के सामने खोल कर रख दिया। जाहिर है, माता पिता का दिल कैसे बर्दास्त करता की बेटी फिर से उस नरक में वापस लौटे। और अलगाव की कानूनी प्रक्रिया शुरू हुई। पुलिस ने हेमलता के बेटे को गिरफ्तार किया, महीनों बाद जमानत मिली। आरोपी हेमलता अपने प्रभावों के बूते बचती रहीं। अब जाकर पटना की महिला थाना ने 15 जनवरी 2019 को वहां के मुख्य दंडाधिकारी के न्यायालय में डॉ हेमलता एस मोहन के खिलाफ अंतिम चार्जशीट सौंपा है। यूं तो माना जाता है कि आम आदमी के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का आरोप थाना पहुंचा नहींं कि आरोपी की धड़पकड़ शुरू हो जाती है। अब देखना बाकी है कि राज्य सरकारों, और अब केंद्र सरकार में, अपनी जबरदस्त  पहुंच बनाने लेने वाली इस 498 A की आरोपी पर पुलिस कैसे हाथ डालती है। सरकारी रवैये पर शक की गुंजाइश इस लिए भी बढ़ जाती है जब यह पता चले कि दो साल से पुलिस जांच में आरोपी बनायी जा रही हेमलता को केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय ने उन्हें सीसीआरटी जैसी प्रतिष्ठित संस्था़ के शीर्ष पद पर बैठाने के पहले उनकी ‘ऐतिहासिक’ पृष्ठभूमि की जांच की जरूरत नहीं समझी? अब जांच तो यह भी होनी चाहिए कि देश की सत्ता में ऐसे कौन कौन शीर्ष शख्सियत हैं जिनका वरदहस्त प्राप्त है हेमलता को।

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