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बगैर ईवीएम वाले कर्नाटक शहरी निकाय चुनाव में कांग्रेस को 509 सीटों के साथ भारी बढ़त, बीजेपी मात्र 366 सीटें

ऐसा कैसे हो सकता है! अभी 18 अप्रैल और 23 अप्रैल को मतदान का नतीजा देश ने देखा। 28 लोकसभा सीटों में से 25 बीजेपी ने जीत ली। यानी सफलता का प्रतिशत 89.28 फीसदी!  बीजेपी को लोकसभा चुनाव में 51.4 फीसदी वोट मिले थे। अब उसी कर्नाटक में 29 मई को हुए स्थानीय शहरी निकाय के चुनाव का नतीजा देखिए। बीजेपी के लिए सफलता का प्रतिशत है 29.76 फीसदी। 59.56 फीसदी लोकप्रियता में गिरावट इतने कम समय में क्या मुमकिन है? खासकर तब जबकि ऐसी कोई भी बड़ी राजनीतिक या गैर राजनीतिक बात या घटना इस दौरान नहीं हुई है!

फर्क सिर्फ ईवीएम का
फर्क सिर्फ एक है। लोकसभा का चुनाव ईवीएम से हुआ था और कर्नाटक में शहरी निकायों का चुनाव ईवीएम से नहीं हुआ। मगर, क्या इस एकमात्र फर्क से चुनाव परिणाम में इतना बड़ा फर्क आ सकता है? इस सवाल की अनदेखी नहीं की जा सकती। खासकर इसलिए कि अब तक देश में 373 सीटों पर ईवीएम से गिने गये वोट और ईवीएम में डाले गये वोटों में फर्क की बात सामने आ चुकी है। चुनाव आयोग इस बात पर कोई जवाब लेकर सामने नहीं आया है। 

कांग्रेस को शहरी निकायों की 1221 में से 509 सीटें
लोकसभा और शहरी निकाय चुनाव के संदर्भ में कांग्रेस के लिए भी उसकी लोकप्रियता बढ़ने वाला तथ्य चौंकाने वाला है। जब एक महीने पहले कांग्रेस की लोकप्रियता सीटों के ख्याल से 3.5 फीसदी और वोटों के ख्याल से 31.88 फीसदी थी, तो अब ऐसा क्या हो गया कि कांग्रेस को 1221 सीटों में से 509 सीटें मिल रही हैं। यानी 41.68 फीसदी सफलता मिलती दिख रही है। 

बीजेपी दूसरे नम्बर पर, सीटें 366
कर्नाटक में स्थानीय नगर निकाय के चुनाव में दूसरे नम्बर पर बीजेपी है जिसे 366 सीटें मिली हैं और तीसरे नम्बर पर जेडीएस है जिसे 174 सीटे मिली हैं। बहुजन समाज पार्टी को 3 और सीपीआईएम को 2 सीटें मिली हैं। निर्दलीय के खाते में 160 सीटें गयी हैं। वहीं अन्य के खाते में भी 7 सीटें हैं।

लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को थी 177 विधानसभा सीटों पर बढ़त
एक और नजरिए से इस चुनाव परिणाम को देखते हैं। 23 मई को आए लोकसभा चुनाव नतीजों में बीजेपी ने राज्य की 177 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनायी थी। ध्यान रहे कि कर्नाटक में कुल 224 विधानसभा की सीटें हैं। ऐसे में माना जा रहा था कि जनता का मूड कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के खिलाफ है। मगर, शहरी निकायों के चुनाव परिणाम ने इस धारणा को बदल दिया है। उल्लेखनीय यह भी है कि कांग्रेस और जेडीएस ने एकजुट होकर या गठबंधन में चुनाव नहीं लड़ा। दोनों दल शहरी निकायों के चुनाव अलग-अलग लड़े।

महानगरपालिका में भी कांग्रेस का जलवा
सिटी म्यूनिसिपैलिटी यानी महानगरपालिकाओं की बात करें तो इसकी 248 सीटों में से 217 के चुनाव परिणाम आ चुके हैं। अब तक कांग्रेस ने 90, बीजेपी ने 56 और जेडीएस ने 38 सीटें जीत ली हैं। बीएसपी 2, निर्दलीय 25 और अन्य को 6 सीटें मिली हैं।

टाउन म्यूनिसिपैलिटी यानी नगरपालिका की 783 सीटों पर हुए चुनाव में 714 के नतीजे आ चुके हैं। इनमें से कांग्रेस को 322 सीटें मिली हैं तो बीजेपी को 184 और जेडीएस को 102 सीटें मिली हैं। बीएसपी को 1, सीपीआईएम को 2, निर्दलीय को 102 और अन्य को 1 सीट मिली हैं।

टाउन पंचायतों की 330 सीटों में से 290 के नतीजे आ चुके हैं। इसमें बीजेपी को सबसे ज्यादा 126 सीटें मिली हैं, जबकि कांग्रेस को 97 सीटें मिली हैं। वहीं तीसरे नम्बर पर रहे जेडीएस को 34 सीटें मिली हैं। निर्दलीय के खाते में 33 सीटें गयी हैं। इन चुनाव परिणामों के जरिए कर्नाटक ने 8 दिन के भीतर देश को दूसरी बार चौंकाया है।

(प्रेम कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल दिल्ली में रहते हैं।)

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