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‘सर्जिकल स्‍ट्राइक दिवस’ मनाने को लेकर राजनीतिक असहमति, बंगाल ने इसे भाजपा का राजनीतिक एजेंडा बताया

कोलकाता: यूजीसी की तरफ से विश्वविद्यालयों को 29 सितम्बर को ‘सर्जिकल स्ट्राइक दिवस’ मनाने का संवाद भेजे जाने को लेकर शुक्रवार को राजनीतिक गतिरोध शुरू हो गया। पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि राज्य में इसका पालन नहीं किया जाएगा और आरोप लगाया कि यह भाजपा के राजनीतिक एजेंडा का हिस्सा है। वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि इससे देशभक्ति झलकती है न कि राजनीति। 
 
बहरहाल केंद्र सरकार ने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के आतंकवादी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी वर्षगांठ मनाना विश्वविद्यालयों और उच्च शैक्षणिक संस्थानों के लिए आवश्यक नहीं है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि विश्वविद्यालयों को परामर्श जारी किया गया है न कि उन्हें निर्देश जारी किया गया है।
 
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की तरफ से समारोह के लिए जो कार्यक्रम सुझाए गए हैं उनमें सशस्त्र सेनाओं द्वारा बलिदान के बारे में पूर्व सैनिकों की तरफ से संवाद सत्र का आयोजन, नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) की तरफ से विशेष परेड आदि शामिल हैं। कॉलेजों से कहा गया है कि एनसीसी की तरफ से परेड और पूर्व सैन्य अधिकारियों द्वारा व्याख्यान का आयोजन करें।

भारतीय सेना ने 29 सितम्बर 2016 को नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादियों के सात लांच पैड पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की थी। यह हमला उरी में इससे एक महीने पहले हुए हमले के जवाब में किया गया था। सेना ने कहा था कि भारतीय सीमा क्षेत्र में घुसने की प्रतीक्षा कर रहे आतंकवादियों को इसके विशेष बल ने ‘काफी क्षति’ पहुंचाई थी।
 
पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने भाजपा नीत केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह ‘सेना की छवि खराब कर रही है और उसका राजनीतिकरण कर रही है।’ उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थान यूजीसी के निर्देशों का पालन नहीं करेंगे। चटर्जी ने कहा, ‘यह भाजपा का एजेंडा है और चुनाव से पहले वह यूजीसी का इस्तेमाल करते हुए अपने इस एजेंडे को आगे बढ़ाना चाहती है। यह शर्म की बात है कि राजग अपने राजनीतिक एजेंडे को हासिल करने के लिए यूजीसी का इस्तेमाल कर रही है। हम यूजीसी के निर्देशों का पालन नहीं करेंगे।’  
 
चटर्जी ने कहा, ‘हमारे सैनिकों द्वारा दिए गए बलिदान के नाम पर वह हमसे दिवस मनाने को कहते तो यह बात समझी जा सकती थी। हमारे मन में सैनिकों और उनके बलिदान के प्रति पूरा सम्मान है।’ मंत्री ने कहा, ‘सेना को हमेशा ही राजनीति और विवादों से परे रखा गया है। लेकिन हम देख रहे हैं कि भाजपा सेना की छवि खराब करने और उसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है।’ 
इस आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि केंद्र के हरेक निर्णय का विरोध करना तृणमूल सरकार की आदत हो गयी है। 
 
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने तंज कसते हुए कहा कि क्या यूजीसी आठ नवम्बर को समारोह मनाने की ‘‘हिम्मत’’ दिखाएगा। सिब्बल ने ट्विट किया, ‘‘यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को निर्देश दिया कि 29 सितम्बर को सर्जिकल स्ट्राइक दिवस मनाए। क्या इसका मतलब शिक्षित करना है या फिर भाजपा के राजनीतिक एजेंडे का पालन करना है।’’पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा, ‘‘क्या यूजीसी आठ नवम्बर को सर्जिकल स्ट्राइक दिवस मनाने की हिम्मत करेगा जब गरीबों से उनकी आजीविका छीन ली गई थी? यह एक और जुमला है।’’
 
जावड़ेकर ने कहा कि यूजीसी के परिपत्र से ‘‘देशभक्ति झलकती है न कि राजनीति’’ और शैक्षणिक संस्थानों के लिए आवश्यक नहीं है कि वे इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करें। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता जावड़ेकर ने विपक्षी दलों की आलोचना को खारिज करते हुए इसे ‘‘पूरी तरह दुर्भाग्यपूर्ण और गलत’’ बताया।

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