Hyderabad Case, police in the box : DN Gautam

हैदराबाद रेप केस और एन्काउन्टर में रेपिस्टों की मौत, पूरे घटनाक्रम पर सेवानिवृत डीजीपी डॉक्‍टर डी एन गौतम की दो टूक समीक्षा: डॉक (कटघरे) में पुलिस ! डी एन गौतम कहते हैं, जब हैदराबाद पुलिस की गोलियों से चारों बलात्कारियों की हत्या की खबर पर पुरा देश झूम उठा तो खुशी में मेरे भी आंसु निकल गए। लगा जैसे कमल खिल रहा हो!.. तत्‍काल तो मुझे लगा कि ऐसे भारत का मैं सपने देखते हुए इस पेशे में आया था.. लेकिन, हम अपने सपनों का भारत तभी बना सकते हैं जब इस कमल के नीचे जमे कीचड़ को देखने की हिम्मत रखें! वह आगे जोड़ते हैं, कथित एन्‍काउन्‍टर के बाद पुलिस वालों पर फूल बरसाना.. यह खुशियों की अभिव्यक्ति नहीं व्यवस्था से उत्पन्न निराशा की अभिव्यक्ति है!.. – हमारे देश में सामूहिक बलात्कार और सबूत मिटाने के लिए पीड़िता की हत्या.. एपिडेमिक (महामारी) हो गया है! – बड़े जगहों में होनेवाली ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट बन जाती है, लेकिन छोटे जगहों पर चंद प्रतिक्रिया.. आखिर कितना रोये कोई, कितना हंगामा करे!.. केस दर्ज नहीं किये जाते हैं, पीड़ितों को दौड़ाया जाता है.. – आज ‘रूल ऑफ लॉ’ नहीं रूल ऑफ ‘लॉयर्स’ है! – पुलिस कौन होती है यह तय करनेवाली की यह अपराध इसी व्यक्ति ने की है?.. उसका दायित्व केवल साक्ष्य जुटाना है। केवल न्यायालय को अधिकार है किसी को दोषी करार दे या निर्दोष। सजा देने का अधिकार केवल न्यायालय को है। – जब पूरी दुनिया में इस बलात्कार की घटना पर थू-थू होने लगी तो सरकार और पुलिसवालों ने मिलकर सोचा कि कुछ ड्रामैटिक किया जाए.. संभवतः यह एनकाउन्टर उसी का नतीजा हो.. – पुलिस ने कथित चारों अपराधियों को गिरफ्तार करने के तुरंत बाद रिमान्ड मांगने की बजाय चार दिन बाद उन्हें रिमान्ड में लिया.. यह संदेहास्पद स्थिति है जो पुलिस की भूमिका पर संदेह जाहिर करती है। – एनकाउन्टर को सही ठहराने की कोशिश में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेन्स में हैदराबाद पुलिस आयुक्त के बयान पर भी कई सवाल हैं.. – केवल कानून बना देने से अपराध कम नहीं होंगे..

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