babri-maszid

अदालत का फैसला कोई झटका नहीं : मुस्लिम याचिकाकर्ता

नई दिल्ली: कई मुस्लिम याचिकाकार्ताओं ने गुरुवार को कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि विवाद को वृहत संवैधानिक पीठ के पास भेजे जाने की याचिका खारिज करना उनके लिए कोई झटका नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को 2-1 के बहुमत से रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले को बड़ी संवैधानिक पीठ के पास भेजे जाने की याचिका खारिज कर दी और निर्णय लिया कि गठित होने वाली नई तीन सदस्यीय पीठ 29 अक्टूबर से मामले की सुनवाई करेगी।

बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के समन्वयक वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि फैसला उनके लिए कोई झटका नहीं है।

जिलानी ने मीडिया से कहा, “यह कोई झटका नहीं है। इसका बस यह मतलब है कि मुकदमा अब शुरू होगा। अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि सर्वोच्च न्यायालय पीठ द्वारा 1994 में इस्माइल फारूकी मामले में अवलोकन विशेष संदर्भ में किया गया था और यह मामले से संबंधित नहीं है। मुझे लगता है यह हमारे उद्देश्य को पूरा करता है।”

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सदस्य मौलाना खालिद राशिद फिरंगीमहली ने कहा, “आज के फैसले का सकारात्मक परिप्रेक्ष्य यह है कि अदालत ने यह पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है कि इस्माइल फारूकी मामले का अयोध्या मामले पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जहां तक मस्जिद, नमाज और धार्मिक परिप्रेक्ष्य का सवाल है, यह सत्यापित तथ्य है कि मस्जिद का निर्माण नमाज अता करने के लिए ही होता है और यह हमारे धर्म का अभिन्न हिस्सा है।”

भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सीएनएन-न्यूज 18 से कहा, “इस पर बात करने की कोई जरूरत नहीं है कि यह संपत्ति किसकी है, रामजन्मभूमि न्यास की है या किसी और की। हमें समझने की जरूरत है कि क्या हिंदुओं को उस जगह पूजा करने की इजाजत है जहां धार्मिक विश्वास कहता है कि भगवान राम का जन्म हुआ था।”

उन्होंने कहा, “सरकार को मस्जिद समेत संपत्तियां अधिग्रहित करने का अधिकार है। मैं मोदी सरकार से आग्रह करूंगा की तत्काल पूरी जमीन का अधिग्रहण करे और इसे हिंदुओं के कुछ प्रतिनिधियों को दे दे, जिसमें कई अखाड़े और विश्व हिंदू परिषद शामिल हैं।”

Scroll to Top