नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पूर्व टीवी धारावाहिक निर्माता सुहैब इलियासी को पत्नी की हत्या के मामले में बरी कर दिया। उन्हें निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट द्वारा 20 दिसम्बर 2017 को दिए गए उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें इलियासी को पत्नी की चाकू से गोदकर हत्या करने के मामले में दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
खंडपीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष इलियासी के अपराध को साबित करने में विफल रहा है।
इलियासी के वकील राजीव मोहन और अभिमन्यु कम्पानी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट बिना किसी ठोस सबूत के अनुमानों के आधार पर निष्कर्ष पर पहुंच गई थी।
उच्च न्यायालय ने पाया कि पांच सदस्यीय मेडिकल बोर्ड की एक रिपोर्ट में हत्या के निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए कोई विशिष्ट कारण नहीं हैं।
अदालत ने कहा, “मेडिकल पेशेवरों के साक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, जिनमें पहला मेडिकल बोर्ड शामिल था और मेडिकल लिटरेचर के परिप्रेक्ष्य में, इस अदालत ने अभियोजन पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया कि चिकित्सा साक्ष्य निर्णायक रूप से साबित करता है कि मौत की वजह हत्या रही।”
अदालत ने कहा कि दोषपूर्ण विश्लेषण, गलत या अनुपस्थित तथ्यों के आधार पर एक निष्कर्ष निकालना उचित नहीं है।
अदालत ने कहा कि घटनास्थल से लिए गए फिंगर प्रिंट के नमूने इलियासी से मैच नहीं हुए और अदालत यह समझने में असफल रही कि कैसे फोरेंसिक रिपोर्ट अभियोजन पक्ष की इस बात को साबित कर सकती है कि मौत का कारण हत्या है।
अदालत ने कहा कि कुछ गवाहों की गवाही कि इलियासी दहेज के लिए अपनी पत्नी को प्रताड़ित करते थे, विश्वासयोग्य नहीं है।
इलियासी पिछले 18 सालों से अपनी पत्नी अंजू की हत्या के मामले में मुकदमे का सामना कर रहे थे।
अंजू की मौत 11 मई, 2000 को उनके मयूर विहार स्थित घर में हुई थी। अंजू के परिवार वालों ने इलियासी पर पत्नी को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था।
रियलिटी टीवी शो ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ की मेजबानी के बाद इलियासी को लोकप्रियता मिली थी।