नई दिल्ली: फेक न्यूज को लेकर दुनियाभर में चल रही चर्चा के बीच बीबीसी का हालिया एक रिसर्च बताता है कि राष्ट्र निर्माण का विचार आज सच पर हावी हो रहा है, क्योंकि राष्ट्र निर्माण की भावना से प्रेरित लोग बिना जांचे-परखे गलत सूचना व संदेश साझा करते हैं। बीबीसी की पहल ‘बियांड फेक न्यूज’ के तहत भारत, कीनिया और नाईजीरिया में करवाए गए व्यापक सर्वेक्षण के आधार पर तैयार रिसर्च रिपोर्ट सोमवार को दिल्ली में जारी की गई। इस मौके पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-दिल्ली में एक परिचर्चा का आयोजन भी किया गया।
फेक न्यूज पर परिचर्चा में शामिल अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने फेक न्यूज प्रसारित करने से हो रहे नुकसान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक विशेष एजेंडा के तहत झूठी सूचनाएं फैलाई जा रही हैं, जिससे समाज को काफी नुकसान हो रहा है।
परिचर्चा में शामिल पत्रकार व लेखिका मधु किश्वर ने वर्तमान दौर में सोशल मीडिया के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज किसी गलत सूचना या फेक न्यूज पर लोग सोशल मीडिया पर त्वरित प्रतिक्रिया जाहिर करते हैं, जो कुछ साल पहले संभव नहीं हो पाता था।
परिचर्चा में हिस्सा लेने वाले लोगों ने अपने-अपने तरह से फेक न्यूज को परिभाषित किया। लेकिन प्रख्यात पत्रकार व लेखक मार्क टुली का कहना था कि झूठ हमेशा झूठ ही होता है। उन्होंने कहा कि झूठ और ओपिनियन में फर्क होता है। टुली ने कहा कि फेक न्यूज से बचने के लिए स्रोत की जांच जरूरी है। स्रोत की विश्वसनीयता से ही समाचार की विश्वसनीयता तय होती है।
बीबीसी की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जो लोग गलत संदेशों को शेयर करने में झिझक महसूस करते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि उन संदेशों हिंसा पैदा हो सकती है, वही लोग राष्ट्रवादी संदेशों को साझा करना अपना कर्तव्य समझते हैं।
बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की प्रगति, हिंदू शक्ति और हिंदुओं की खोई प्रतिष्ठा की दोबारा बहाली आदि से जुड़े संदेश तथ्यों की जांच किए बिना बड़ी संख्या में शेयर किए जा रहे हैं। इस तरह के संदेशों को भेजते हुए लोगों को महसूस होता है कि वे राष्ट्र निर्माण का काम कर रहे हैं।
कीनिया में वॉट्सऐप पर शेयर होने वाले फेक न्यूज में आर्थिक घोटालों और तकनीकी योगदान से जुड़ी झूठी खबरें एक तिहाई होती हैं। वहीं, नाइजीरिया में आतंकवाद और सेना से जुड़ी खबरें ज्यादा साझा की जाती हैं।
बीबीसी वल्र्ड सर्विस में ऑडियंस रिसर्च विभाग के प्रमुख डॉक्टर शांतनु चक्रवर्ती ने एक बयान में कहा, “रिपोर्ट इन-डेप्थ क्वॉलिटेटिव और इथनोग्राफी की तकनीकों के साथ-साथ डिजिटल नेटवर्क एनालिसिस और बिग डेटा तकनीक की मदद से भारत, कीनिया और नाइजीरिया में कई तरह से फेक न्यूज को समझने का प्रयास करती है। इन देशों में फेक न्यूज के तकनीक केंद्रित सामाजिक स्वरूप को समझने के लिए ये पहला प्रोजेक्ट है।”
वहीं, बीबीसी वल्र्ड सर्विस ग्रुप के निदेशक जेमी एंगस ने कहा, “सोशल मीडिया पर खबरें साझा करते समय राष्ट्र-निर्माण का विचार सच पर हावी हो रहा है। बीबीसी की ‘बियांड फेक न्यूज’ पहल गलत सूचनाओं के फैलाव से निपटने में हमारी प्रतिबद्धता की ओर एक अहम कदम है।”