Author name: श्रीनिवास

1974 आंदोलन में शामिल रहा. कई बार जेल. इमरजेंसी में लगभग एक साल के लिए. तभी से सार्वजनिक की शुरुआत. फिर जेपी द्वारा गठित छात्र-युवा संघर्ष से जुड़ा, 1985 तक पूर्णकालिक कार्यकर्ता. 1986 से पत्रकारिता (प्रभात खबर) में- 2008 तक. स्वतंत्र लेखन, सामाजिक गतिविधियों में संभव सक्रियता. लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय, स्त्री-पुरुष समानता में विश्वास. अनीश्वरवादी. मूलतः गांधी, जेपी, लोहिया, आंबेडकर के विचारों से प्रभावित. सांप्रदायिकता- धर्मांधता, जातिवाद और अंधविश्वास भारतीय समाज की समस्याओं के मूल कारण हैं. धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र आदि की संकीर्णता और इन आधारों पर भेदभाव देश की एकता में बाधक!

श्रीनिवास
Opinion, Top News

ये ‘धर्म संसद’ क्या बला है?

ये ‘धर्म संसद’ क्या बला है?
राहुल गांधी को हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने की धमकी के मायने!
खबरों के मुताबिक बीते नौ फरवरी को प्रयागराज महाकुम्भ में हुई ‘धर्म संसद’ में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, राहुल गांधी के ‘मनुस्मृति’ … Read the rest

Opinion, Top News

दिल्ली के नतीजे उतने भी चौंकानेवाले नहीं हैं

दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली सफलता जितनी चौंकानेवाली लगती है, उतनी है नहीं. 2014 से केंद्र में अपराजेय भाजपा के रहते और मोदी-शाह जोड़ी की नाक के नीचे दिल्ली विधानसभा चुनावों में ‘आप’ को मिलती रही प्रचंड जीत- … Read the rest

Manmohan Singh with family
Opinion, Special

एक साधारण, पर ‘असाधारण’ सरदार!

अभी अभी दिवंगत हुए डॉ मनमोहन सिंह पर कुछ लिखने की न मुझमें पात्रता है, न ही बहुत जरूरी लग रहा था. सबसे पहले तो यह स्वीकारोक्ति कि मुझे अर्थशास्त्र की बहुत समझ नहीं है; और मनमोहन सिंह की ख्याति … Read the rest

JP
Opinion

संपूर्ण क्रांति  : पचास साल का अधूरा सफर

वर्ष 1974 में गांधी मैदान (पटना) में लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा “संपूर्ण क्रांति’ के उद्घोष को पचास वर्ष पूरे हो रहे हैं. उस आंदोलन का मकसद समाज और व्यवस्था में आमूल बदलाव करना था. मगर अफसोस कि वह लक्ष्य अधूरा … Read the rest

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