महागठबंधन के बावजूद - भाजपा को मात देना आसान नहीं

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गुमला से अजय शर्मा

गुमला:  जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव2019 की अधिसूचना जारी होने का समय निकट आ रहा है एवं विभिन्न राजनीतिक दलों के गठबंधन के द्वारा भाजपा प्रत्याशी को मात देने की रणनीति तैयार करने के लिए समुद्र मंथन में लगे हैं। यहां बताते चलें कि झामुमो.लोहरदगा सीट को कांग्रेस के झोली में डालकर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ लेगी जैसा कि अबतक के रूझान महागठबंधन से लगता है। यह भी चर्चा शुरू हो चूकी है कि कांग्रेस का प्रत्याशीँ कौन होगा इसमें अरूण उरांव से लेकर सुखदेव भगत वर्तमान लोहरदगा विधायक हैं ही इसके अलावा भी अनेकों दिग्गज नेता भी अंदर ही अंदर टिकट के लिए एड़ी चोटी लगाएं हुए हैं अलबता जो भी प्रत्याशी घोषित होने पर ही तस्वीर साफ हो सकती है कि कांग्रेस किसे टिकट देगी। लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र पर विजय प्राप्त करने के लिए सदानों एवं सरना समुदाय के आदिवासियों का अहम रोल रहा है। 

  फिलहाल केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का जो लाभ महिला मंड़ल को एवं आदिवासियों किसानों को मिला है इसका लाभ सीधे तौर पर भाजपा को मिलना तय है चाहे प्रधान मंत्री आवास योजना को ले ,प्रधान मंत्री सडक योजनाओं का जो जाल इस लोकसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में हुआ है निश्चित रूप से इसका भी लाभ चुनाव में भाजपा को होना तय है। दो बार लगातार  लोहरदगा से सांसद बने भाजपा के सुदर्शन भगत इस बार केन्द्रीय राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त कर मोदी जी के लिए उनकी विकास योजनाओं की बहार इस लोकसभा क्षेत्र में खासकर आदिवासियों एवं गरीब लोगों के लिए भी उसका लाभ दिलाने का अथक प्रयास करते रहे हैं।कहा जाता है कि सुदर्शन भगत का सुदर्शन चक्र से कांग्रेस का बचना मुश्किल है।

              आगामी लोकसभा चुनाव2019 में भी तय है कि सुदर्शन भगत ही भाजपा के प्रत्याशी घोषित किए जा सकते हैं। उनकी साफ छवी के कारण वोटरों के साथ साथ सरकारी महकमा भी अंदर से लगाव रखतें हैं।

         महागठबंधन के बदौलत कांग्रेस लोहरदगा सीट पर काबिज होने के लिए सबकुछ प्रत्याशी चयन पर है। अरूण उरांव नंबर एक पर आशा रखें हुए हैं कि कांग्रेस के लिए जो प्रभारी बना कर छतीसगढ़ में चुनाव जिताने की जिम्मेवारी कांग्रेस हाईकमान ने सौपी थी उसके बदले निश्चित है कि टिकट पर उनकी दावेदारी बनती है। लोहरदगा लोकसभा चुनाव में देखा जाए तो डॉ.रामेश्वर उरांव जब भी चुनाव लड़े हैं कांग्रेस के लिए अच्छा चुनाव परिणाम देने में कामयाब रहे हैं ।यदि कांग्रेस में भितरधात ना हो और गुटबाजी ना करें तो कांग्रेस की स्थिति मजबूत बनाने में ज्यादा मेहनत नही करनी पडेगी। कहा जाता है कि कांग्रेस की हार का कारण सिर्फ यह है कि लोहरदगा लोकसभा सीट पर अनेकों दिग्गज कांग्रेसी नेता का जमावडा और गुटबाजी से जो भी प्रत्याशी निकल पड़े फतह करने से पीछे नही रहेगा।लेकिन यह भी कहा जाता है कि गुटबाजी चरम सीमा पर रहेगी पिछले लोकसभा चुनाव में जो खेल खेला गया था वह अब फिर से उसकी बारी आ चूकी है। इस सीट पर कांग्रेस को गठबंधन की पार्टी से भी खतरा बना है सेंधमारी निश्चित है।

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