हमारी माँग है भारत के प्रकृति पूजक आदिवासियों को 2021 की जनगणना में भारत सरकार " सरना धर्म कोड " देकर सम्मानित और शामिल करे। यदि भाजपा की केंद्रीय सरकार ऐसा नहीं करती है तो भारत के आदिवासी अन्यान्य कालम में सरना धर्म लिखेंगे और अपनी संघर्ष जारी रखेंगे। 2011 की जनगणना में सरना धर्म लिखाने वालों की संख्या लगभग 50 लाख थी। 2021 में इसे 2 करोड़ से ज्यादा करने की कोशिश होगी। जो बौद्ध ( 84 लाख) और जैन (44 लाख ) धर्म से ज्यादा हो जायेगी और सिख धर्म के करीब हो जायेगी।
सरना धर्म आदिवासियों की भाषा- संस्कृति, सोच, संस्कार और अस्तित्व, पहचान का घोतक है। हम प्रकृति पूजक आदिवासी जबरन हिन्दू या ईसाई आदि बनाये जाने के खिलाफ हैं। यह हमारे मौलिक अधिकार पर हमला है।
2. 2021 की जनगणना में अनुसूचित जाति / जनजाति की तरह बाकि जातियों की जाति जनगणना जरूरी है। जाति आधारित जनगणना विकास और राष्ट्रहित में है। asa/ jdp जनहित में इसका समर्थन करती है। यह जानकारी आदिवासी सेंगेल अभियान के अध्यक्ष व जेडीपी के संस्थापक सालखन मुर्मू ने विज्ञप्ति जारी कर दी है।