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‘वंदे मातरम’ एक ‘हथियार’ भी है!

इनके पास धार्मिक/सांप्रदायिक गोलबंदी, या कहें, ‘हिंदुओं का खून खौलने’ के लिए मुद्दों और तरीकों की कमी नहीं है. ये इनका प्रयोग लागातर करते रहते हैं. अब एक ऐसा ही पुराना मुद्दा नये रूप में लाया गया है. ‘वंदे मातरम’ … Read the rest

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पूर्वोत्तर भारत : पत्रकारिता, आचारनीति, कवरेज का दायरा आदि

क्या यह नैतिक (या तार्किक) रूप से सही है कि किसी दैनिक अख़बार का संपादक नियमित रूप से किसी दूसरे दैनिक अख़बार में कॉलम लिखे—ख़ासकर तब, जब दोनों अख़बार एक ही भाषा में और एक ही क्षेत्र से प्रकाशित हो … Read the rest

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पूर्वोत्तर भारत : पत्रकारिता, आचारनीति, कवरेज का दायरा आदि

क्या यह नैतिक (या तार्किक) रूप से सही है कि किसी दैनिक अख़बार का संपादक नियमित रूप से किसी दूसरे दैनिक अख़बार में कॉलम लिखे—ख़ासकर तब, जब दोनों अख़बार एक ही भाषा में और एक ही क्षेत्र से प्रकाशित हो … Read the rest

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अठारह महीने बनाम ग्यारह साल!

आधी सदी पहले देश पर थोपे गये आपातकाल पर विमर्श में यदि स्पष्ट विभाजन नजर आ रहा है, तो यह अकारण नहीं है! सत्ता पक्ष ने इस बार भी एक कर्मकांड की तरह इसका आयोजन ‘सविधान हत्या दिवस’ के रूप … Read the rest

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