गिरिडीह : 81 विधानसभा सीटों वाले झारखंड में चुनाव आयोग द्वारा तारीखों के एलान हो गये । और इसके साथ हि राज्य में सक्रिय सियासी पार्टियों में टिकट वितरण और बटवारे को लेकर माथापच्ची शुरू हो गयी । एक और जहा सतारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश आलाकमान चौथी विधानसभा में अपनी बादशाहत बरकरार बनाये ररवने को लेकर हर संभव कोशिश में जूटा है। वहीं दूसरी और विपक्षी दल सतारूढ़ भाजपा को वेद खल करने की मुहीम के तहत बीते एक माह में ताबड़ तोड़ रैलीया कर लोकसभा चुनाव के सन्नाटे को भीड़ में तब्दील करने के भरसक प्रयास किये हैा इस क्रम में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बदलाव यात्रा निकाल कर लोगों से राज्य में बदलाव लाने का अहवान् किया । झारखंड विकास मोर्चा ने जनादेश यात्रा के जरिये पार्टी को जनादेश देने की गुहार लगायी ।कांग्रेस ने भी जनाक्रोश रैली कर अपने खोये जनाधार को वापस हासिल करने की कवायद की ।
सुक्रवार को चुनाव आयोग द्वारा मतदान तिथियों की घोषणा के बाद चुनावी तैयारियों के दूसरे चरण में विपक्षी दल गठबंधन की रूपरेखा तय करने में जूट गये हैा मानाजारहा है कि यूपीए में झ़ामुमो ,कांग्रेस ,राजद ,और वामदलों का गठबंधन बनाया जारहा है ।जिसमें झारखंड विकास मोर्चा शामिल नही हैा इसके पिछे कयास यह है कि झामुमो को बाबूलाल मरांडी की अगुवायी में चुनाव लड़ना मंजूर नही है ,ठीक इसी प्रकार झाविमो को भी हेमन्त सोरेन की लीडरसीप में चुनाव लड़ने पर एतराज हैा हलाकि इस सवंध में झारखंड विकास मोर्चा की और से अधिकारिक तौर पर कुछ नही कहा गया है ।लेकिन झाविमो आलाकमान सूत्रों की माने तो ,झाविमो गठवधंन का कतई खिलाफ नही हैा झाविमो का मकसद भी राज्य से सतारूठ भाजपा सरकार को हटाना है । इसके लिए विगत पाँच वर्षों के दौरान झाविमो ने लगातार रघुवर दास सरकार की जनविरोधि नीतियों को लेकर आंदोलन कर ,सरकार की अव्यवहारिक नीतियो का विरोध किया हैा
झाविमो सूत्रो की माने तो उनकी पार्टी का संगठन किसी अन्य क्षेत्रीय दल से कमजोर नही हैा 20, 25 सीटों की भागिदारी मिले तो पार्टी को एतराज नही है । रही बात चुनाव में सीएम को प्रोजेक्ट कर लीडरसीप की तो ,किसी को भी प्रोजेक्ट करने के वजाय संयुक्त लीडरसीप में चुनाव लडा जाय ।वहरहाल जेवीएम को छोड़कऱ यूपीए का भावि गठबंधन सतारूढ़ भाजपा को कितनी सीटों पर झटके दे पायेगा लोकल मुद्दे कितने हावी होगे ।यह सब 23 दिसम्बर को चुनाव नतिजो से साफ होगा ।लेकिन बीते लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को राज्य की जनता ने एक प्रकार से नकार दिया था ।