अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन संग समझौता करने के मामले में उनके खिलाफ चल रही महाभियोग जांच को हमेशा की तरह विपक्षी डेमोक्रेट्स को 'पागल' और 'देशद्रोही' बताकर राजनीतिक रंग दे दिया है।
इसके साथ ही वह सीरिया से अमेरिकी सेना की वापसी को 'मानव सभ्यता के लिए एक महान दिन' करार दे रहे हैं।
आगामी अमेरिकी चुनाव के लिए केवल 12 महीने शेष रह गए हैं, और ट्रंप लगातार खुद को एक विद्रोही और वाशिंगटन के संभ्रांतों का शिकार बताते रहे हैं। क्या यह जानबूझकर बनाई गई रणनीति है या फिर ट्रंप ऐसे ही हैं। रणनीतिकारों का मानना है कि राष्ट्रपति की भावनाओं, संस्मरणों के प्रति अपील काफी प्रभावी है।
ब्रांड स्ट्रैटजी एक्सपर्ट प्रोफेसर स्टेफन हर्ष का मानना है कि जब नई सूचनाएं आती हैं तो कैसे उम्मीदवार मतदाओं की भावनाओं को लेकर संतुलन साधते हैं, यह संज्ञानात्मक विज्ञान का एक प्रमुख परिप्रेक्ष्य है, जिसका राजनीतिक संदेश देने में काफी महत्व है।
महाभियोग युग की राजनीति के समय में हमने ब्रांडिंग पर हर्ष से बातचीत की। उसके कुछ अंश निम्नलिखित हैं।
आईएएनएस ने उनसे पूछा कि राजनीतिक अभियानों में यादगार संदेशों के लिए क्या किया जाता है? उन्होंने कहा, "हमें सबसे यह प्रश्न पूछना होगा कि ब्रांड क्या होता है? मुझे लगता है कि हमें रिलेशनशिप के तौर पर ब्रांडिंग के बारे में ज्यादा बातचीत करने की जरूरत है, क्योंकि ब्रांडिंग, वक्ता और श्रोता के बीच एक रिश्ता होता है।"
उन्होंने कहा, "जब लोग कुछ सुनते हैं, वे इसे कैसे याद रखते हैं और इसका उनके मन मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है? और जब लोग याद करते हैं तो वे किन चीजों को याद करते हैं। संज्ञानात्मक मनोविज्ञान उस विचार के बारे में बात करता है कि संस्मरण रोजमर्रा की जिंदगी में हम जो सोचते हैं, उससे कहीं ज्यादा है। हम भावनाओं को भी याद रखते हैं। हम अनुभवों को याद रखते हैं। हम स्थितियों को याद रखते हैं। इसलिए जब हम एक ब्रांड के बारे में सोचते हैं, तो वह एक व्यक्ति हो सकता है, वह एक उम्मीदवार हो सकता है, हमारे पास इन सभी संस्मरणों का संग्रह होता है।"
हर्ष ने कहा, "और जब नए संस्मरण सामने आते हैं, और जब नई चीजें होती हैं, यह उस ब्रांड और उस व्यक्ति के बारे में हमारे संतुलन में बदलाव कर देता है। इसलिए मैं आपसे यह कहूं कि यह वह हीरो है, जो तलाब में कूद गया और डूबते हुए बच्चे को बचाया, तो हम उस व्यक्ति के बारे में सकारात्मक सोचने लगेंगे। और यदि इसमें हम एक चीज जोड़ दें कि इस व्यक्ति ने कोई अपराध किया है, तब हमारी भावनाओं का संतुलन बदल जाएगा और हम सोचने लगेंगे कि उसने क्या अपराध किया था। इसलिए जब नई चीजें सामने आती हैं तो हमारी भावनाओं में बदलाव आता है।"
आईएएनएस ने हर्ष से पूछा कि क्या ट्रंप के संदेशों का मुख्य उद्देश्य लोगों को मतदान केंद्रों पर निर्णय लेने में प्रभावित करने का है? उन्होंने कहा, "जब कोई राजनीतिक पार्टी कोई संदेश देती है, सवाल उठता है कि श्रोताओं के पास क्या पहुंच रहा है। क्या यह स्पष्ट है? क्या यह यादगार है? जब नेता किसी चीज पर अपना कोई स्टैंड या पक्ष नहीं लेना चाहते हैं तो वह विषय को बदलने के लिए श्रोताओं को बोर करने लगते हैं। लोग आम जिंदगी में या फिर राजनीति में मामले से निपटने के लिए यह तरकीब निकालते हैं। इसलिए जब कोई बेहद स्पष्ट भावनाओं और स्पष्ट संदेश के साथ सामने आता है तो लोगों पर इसका प्रभाव पड़ता है। हमने राजनीति के क्षेत्रों से कई लोगों के बारे में सुना है कि ट्रंप वह कहने में काफी अच्छे हैं, जिसे वह कहना चाहते हैं। अंत में शब्द जितने सरल होंगे, वे उतने ही प्रभावी होंगे।"