झारखंड के जानेमाने आदिवासी बुद्धिजीवी स्व. डॉ निर्मल मिंज को श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्रीय सेंगल अभियान के अध्यक्ष सालखन मुर्मू कहते हैं- जब झारखंड गठन पर 15. नवम्बर 2000 को बाबूलाल मरांडी की बीजेपी सरकार आधी रात को राजभवन, रांची में काबिज हो गई तो पूरा झारखंड ठगा सा महसूस करने लगा। आदिवासी समाज दिल से दुखी था। चूँकि बीजेपी हमेशा से झारखंड बिरोधी था। परिस्थिति को भांप कर वह बाद में वनांचल मांगने लगा था।
भारी आक्रोश और निराशा के बीच तूफान आने के पूर्व की शान्ति थी। मैं bjp का सांसद 1998 - 2004 था, ओडिशा के मयूरभंज से। मगर राज्य गठन के बाद बीजेपी के खिलाफ 2001 के प्रारंभ से राँची में काबिज हो गया।
13 जनवरी 2001 को सत्य भारती, पुरूलिया रोड , रांची में पहली आदिवासी बिद्रोह की बैठक का आयोजन हुआ। डॉ निर्मल मिंज ने उसकी अध्यक्षता की। तय हुआ आदिवासी बिरोधी बीजेपी सरकार का बिरोध शुरू किया जाय। आदिवासी झारखंड जनाधिकार मंच AJJM का गठन किया गया। तब सांसद रहे सालखन मुर्मू को मुख्य संयोजक बनाया गया। पहली बिस्फोटक रैली 27 फरवरी 2001 को विधानसभा घेरने के लिये निकला। नवयुवकों में घोर आक्रोश और उतसाह था। आदिवासी छात्र संघ भी शामिल था। बंधु तिर्की, चमरा लिंडा आदि भी साथ थे। शहीदों के सपनों को सच बनाने के लिये यह प्रथम बिद्रोह था। जिसको मार्गदर्शन देनेवाले डॉ निर्मल मिंज थे और नेतृत्व की कोशिश मेरे पास थी। तब डोमिसाइल और आरक्षण आंदोलन चरम पर था। जिसे शिबू सोरेन ने बकवास और बेकार घोषित किया। बिहारी को बड़ा भाई बताया। झारखंडी आंदोलन को दिग्भ्रमित कर दिया। बाकि इतिहास है..