गिरिडीह: प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य व 25 लाख के इनामी हार्डकोर माओवादी बलबीर महतो उर्फ रोशन उर्फ़ चरका उर्फ़ बाराती महतो उर्फ प्रवीर ने आत्मसमर्पण कर दिया। इससे नक्सली संगठन को बड़ा झटका लगा है। बलबीर का आत्मसमर्पण करना पारसनाथ को नक्सलवाद से मुक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
बलबीर ने गुरुवार को डीआईजी पंकज कंबोज और एसपी सुरेन्द्र कुमार झा के समक्ष सरेंडर किया। इस मौके पर डीआईजी ने उसे 25 लाख का चेक सौंपा। इसके अलावा उसे राज्य सरकार की सरेंडर पॉलिसी के तहत जमीन, रोजगार समेत कई सुविधाएं मिलेंगी। बलबीर के सरेंडर करने के बाद दूसरे नक्सली भी सरेंडर करने के लिए आगे आ सकते हैं। बलबीर अतिनक्सल प्रभावित पीरटांड़ के नावाडीह का निवासी है। इनामी नक्सली पिछले कई सालों से संथाल परगना के इलाके में सैक का सदस्य था। बलबीर पर पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार की हत्या समेत गिरिडीह और संथाल परगना में दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। लम्बे समय से गिरिडीह पुलिस को इसकी तलाश थी। पुलिस उसके घर की कुर्की कर चुकी है। बलबीर का बड़ा भाई महरू भी नक्सली है। वह पिछले सात सालों से उड़ीसा की एक जेल में बंद है। उसका एक भाई मधुबन एक जैन संस्था में नौकरी करता है।
गिरिडीह पुलिस ने बलवीर के परिजनों को झारखंड सरकार के सरेंडर पॉलिसी की अहमियत को बताते हुए जागरूक किया। बलवीर के परिजनों को गिरिडीह पुलिस ने बताया कि छह माह पहले भी इसी इलाके का बाबूचन, सरेंडर पॉलिसी का फायदा लेते हुए समाज की मुख्यधारा से जुड़ गया। गिरिडीह पुलिस की इसी जागरूकता अभियान का नतीजा है कि प्रवीर ने गिरिडीह पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। बताया जाता है कि पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र झा की टीम लगातार इलाके में झारखंड सरकार की सरेंडर पॉलिसी का प्रचार-प्रसार कर रही थी। ऐसे में सफल जागरूकता अभियान का ही नतीजा है कि गिरिडीह पुलिस ने माओवादियों को झटका देते हुए छह माह के अंदर दो बड़े नक्सली का सरेंडर कराया। पुलिस के आलाधिकारियों के अलावे सीआरपीएफ के अधिकारी भी मौजूद थे।