सन् 2000 से लेकर अक्टुबर 2018 तक गुमला जिले में 275 व्यक्ति/आम नागरिक उग्रवादी (नक्सली) हिंसा के शिकार हुए जिनके आश्रित परिवार को राज्य सरकार द्वारा प्रदत मुआवजा राशि का भुगतान किया गया लेकिन पीडि़तों को मुआवजा भुगतान में भारी गडबडी हैl
गुमला: सन् 2000 ई० से लेकर अक्टुबर 2018 तक गुमला जिले में 275 व्यक्ति/आम नागरिक उग्रवादी (नक्सली) हिंसा के शिकार हुए जिनके आश्रित/पिडीत परिवार को राज्य सरकार द्वारा प्रदत अनुग्रह अनुदान राशि (मुआवजा) का भुगतान किया गया लेकिन पिडीतो को मुआवजा भुगतान में गडबडी है l इस बात की खुल्लासा सूचना का अधिकार (आरटीआई) से हुई l जिले के आरटीआई कार्यकर्ता आनन्द किशोर पण्डा के द्वारा उपायुक्त कार्यालय, गुमला से सूचनाएँ की मॉग किया गया था और उपायुक्त कार्यालय जिला राजस्व शाखा के प्रभारी पदाधिकारी के द्वारा पत्रॉक सं०- 204/रा० , दिनॉक 15.02.2019 के तहत उग्रवादी हिसा के मृतक व्यक्तियो के प्रभवित पिडीतो को राज्य सरकार के द्वारा प्रदत मुआवजा भुगतान की सूची 29 पृष्ठो मे दिया गया जिसका अवलोकन से पता चला कि 275 लोगो का भुगतान अलग-अलग तरिके से किया गया है , किसी को 100000 (एक लाख रू०) , किसी को 50000 (पच्चास हजार रू०) तो किसी को मात्र 20000 (बीस हजार रू०) जो सरकारी नियमानुसार गडबडी है l आरटीआई कार्यकर्ता आनन्द किशोर पण्डा ने इस बाबत साक्ष्यो के साथ गृह, कारा व आपदा प्रबंधन विभाग , झारखण्ड सरकार के प्रधान सचिव को पत्र प्रेषित कर न्यायहित व लोकहित में इसकी जॉच कराकर नक्सली हिंसा में प्रभावित पिडीत परिवारो को बचा हुआ शेष राशि का विभागीय स्तर से भुगतान कराने की मॉग किया गया है l श्री पण्डा के द्वारा शिकायत पत्र में विभागीय नियमो का भी हवाला दिया गया है , इन्होने कहा है कि झारखण्ड राज्य बनने से पहले 'बिहार सरकार गृह विभाग, पटना का पत्रॉक - 1972, दिनॉक 09.08.2000 में उग्रवादी हिसा में प्रभावित पिडीत परिवार को 50000 (पच्चास हजार रू०) का मुआवजा देने का प्रावधान था जिसे बाद में झारखण्ड बनने के उपरॉन्त झारखण्ड सरकार के गृह विभाग द्वारा पत्रॉक -423, दिनॉक 16.02.2006 के निर्णयानुसार नोटिफिकेसन मे उक्त मुआवजा भुगतान राशि की बढोतरी करते हुए 100000 (एक लाख रू०) किया गया लेकिन मुआवजा भुगतान मे कई तरह की त्रुटियॉ देखने को मिल रहा है l